इजरायल के नए मैप पर विवाद: क्या है ग्रेटर इजरायल प्लान और क्यों भड़के मुस्लिम देश?

इजरायल के नए मैप पर बवाल! क्या है ग्रेटर इजरायल प्लान जिससे भड़के मुस्लिम देश, जानिए

हाल ही में इजरायल के विदेश मंत्रालय ने अपने अरबी भाषा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक मैप साझा किया है, जिसने पूरे अरब जगत में हंगामा मचा दिया है। इस मैप में बाइबिल में वर्णित प्राचीन यहूदी राज्य की सीमाओं को दर्शाया गया है। इस कदम को लेकर सऊदी अरब, जॉर्डन, और अन्य मुस्लिम देशों में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। आरोप लगाया जा रहा है कि यह इजरायल की विस्तारवादी योजनाओं का संकेत है। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह विवाद क्या है और ग्रेटर इजरायल प्लान के पीछे का मकसद क्या है।

इजरायल का विवादित मैप और अरब देशों का विरोध

इजरायल द्वारा साझा किए गए इस मैप को लेकर सऊदी अरब और जॉर्डन जैसे देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इनका मानना है कि यह मैप इजरायल के क्षेत्रीय विस्तार के इरादे को दर्शाता है और इससे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है।

सऊदी अरब का कड़ा रुख

सऊदी अरब ने इस मैप को खारिज करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन बताया है। सऊदी अधिकारियों का कहना है कि यह कदम राज्यों की संप्रभुता पर सीधा हमला है। साथ ही उन्होंने इसे इजरायल द्वारा कब्जे को वैध बनाने की कोशिश करार दिया।

जॉर्डन और अरब लीग की प्रतिक्रिया

जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने इस मैप को इजरायल की विस्तारवादी नीति का हिस्सा बताया है। अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घेइत ने इस कदम को “भड़काऊ कार्रवाई” कहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के कदम क्षेत्रीय संघर्षों को और बढ़ावा दे सकते हैं।

कतर और यूएई का विरोध

कतर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भी इस मैप की कड़ी निंदा की है। दोनों देशों ने इसे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के खिलाफ जानबूझकर उठाया गया कदम बताया।

ग्रेटर इजरायल प्लान क्या है?

ग्रेटर इजरायल प्लान, जिसे “ईरेत्ज़ यिस्राएल हाशलेमा” भी कहा जाता है, यहूदी धर्म और जायोनिस्ट आंदोलन में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। इस योजना के अनुसार, एक विशाल यहूदी राज्य की कल्पना की गई है, जिसकी सीमाएं मिस्र की नील नदी से लेकर इराक की यूफ्रेट्स नदी तक फैली हों।

इस योजना का ऐतिहासिक आधार

ग्रेटर इजरायल की अवधारणा यहूदी धर्म के बाइबिलिक ग्रंथों से ली गई है। इसमें उस प्राचीन यहूदी राज्य का वर्णन है, जिसकी सीमाएं आज के कई अरब देशों के क्षेत्रों तक फैली हुई थीं।

ग्रेटर इजरायल की परिकल्पना: विस्तारित सीमाएं

मूलभूत सीमाएं

ग्रेटर इजरायल प्लान के तहत निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं:

  1. मिस्र: नील नदी से जुड़ा इलाका।
  2. जॉर्डन: पूरा जॉर्डन राज्य।
  3. इराक: यूफ्रेट्स नदी का पश्चिमी क्षेत्र।
  4. सऊदी अरब: इसके उत्तरी हिस्से।
  5. फिलिस्तीन: पूरी तरह इजरायल के नियंत्रण में।

यहूदी धर्म और पवित्र स्थल

इस योजना में माउंट सिनाई और यरुशलम जैसे पवित्र स्थलों को यहूदी राज्य के अभिन्न अंग के रूप में देखा गया है। यह विचार यहूदी धर्म के साथ-साथ जायोनिस्ट विचारधारा का भी हिस्सा है।

अरब देशों की चिंताएं और वैश्विक प्रभाव

संप्रभुता पर खतरा

अरब देशों का मानना है कि इस तरह के कदम से उनकी संप्रभुता पर खतरा है। यह कदम क्षेत्रीय तनाव को बढ़ावा देगा और भविष्य में युद्ध का कारण बन सकता है।

अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन

अरब लीग और संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने पहले भी इजरायल की विस्तारवादी नीतियों की आलोचना की है। ग्रेटर इजरायल प्लान को अंतरराष्ट्रीय कानूनों और समझौतों के खिलाफ माना जाता है।

चरमपंथ और अस्थिरता का खतरा

इस तरह की योजनाएं केवल संघर्ष और हिंसा को बढ़ावा देती हैं। अरब लीग ने चेतावनी दी है कि इससे चरमपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा मिल सकता है।