दिल्ली चुनाव से पहले खजाने का एक्स-रे भाजपा के पास 6900 करोड़, तो कांग्रेस के पास सिर्फ 53 करोड़
News India Live, Digital Desk: दिल्ली में विधानसभा चुनाव (2025) का बिगुल बजने वाला है। रैलियां, भाषण और वादे सब अपनी जगह हैं, लेकिन एक चीज है जिसके बिना आज की राजनीति अधूरी मानी जाती है, और वो है "फंड" यानी पैसा। हाल ही में सामने आए आंकड़ों ने सियासी गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है।
तस्वीर बिल्कुल साफ है एक तरफ सत्ताधारी भाजपा (BJP) का खजाना लबालब भरा है, तो दूसरी तरफ देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस (Congress) फंड के मामले में काफी पीछे, बल्कि बहुत ही पीछे नजर आ रही है।
जमीन-आसमान का अंतर: 6900 बनाम 53
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और ताज़ा रिपोर्ट्स के आंकड़े देखकर किसी को भी झटका लग सकता है।
- भारतीय जनता पार्टी (BJP): करीब 6,900 करोड़ रुपये से ज्यादा का बैंक बैलेंस। यह रकम इतनी बड़ी है कि दूसरी सभी पार्टियों को मिला भी दिया जाए, तो भी पलड़ा भाजपा का ही भारी रहेगा।
- कांग्रेस (Congress): वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस के खाते में महज 53 करोड़ रुपये (कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार) होने की बात सामने आई है।
जी हाँ, आपने सही पढ़ा। यह अंतर सिर्फ 19-20 का नहीं है, बल्कि हाथी और चींटी जैसा है। कहाँ हज़ारों करोड़ और कहाँ चंद करोड़!
चुनाव पर क्या होगा असर?
अब सवाल यह उठता है कि क्या पैसों का यह पहाड़ चुनावी नतीजों को प्रभावित करता है? राजनीति के जानकर मानते हैं कि चुनाव लड़ना आज के दौर में बेहद महंगा काम है। होर्डिंग, डिजिटल प्रचार, यात्राएं और रैलियों के लिए पानी की तरह पैसा बहाना पड़ता है। ऐसे में भाजपा आर्थिक तौर पर बेहद मजबूत स्थिति में है।
वहीं, कांग्रेस के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। सीमित संसाधनों के साथ इतनी बड़ी मशीनीरी से लड़ना आसान नहीं होगा। शायद यही वजह है कि हम पिछले कुछ समय से विपक्षी पार्टियों को फंड की कमी और क्राउड-फंडिंग (जनता से चंदा मांगना) की बात करते हुए सुन रहे हैं।
आम जनता क्या सोचती है?
लोकतंत्र की खूबसूरती यह है कि यहां नोट से ज्यादा वोट की ताकत होती है। पैसा संसाधन जुटा सकता है, प्रचार कर सकता है, लेकिन जनता का भरोसा जीतना एक अलग बात है। दिल्ली का चुनाव वैसे भी दिलचस्प होता है क्योंकि यहाँ की जनता बहुत सोच-समझकर फैसला लेती है।
बहरहाल, आंकड़ों की यह बाजी बता रही है कि चुनावी मैदान में उतरने से पहले ही एक पार्टी "बाहुबली" दिख रही है। अब देखना यह है कि 2025 के दंगल में 'धन-बल' जीतता है या 'जन-बल'!
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