महाराष्ट्र पॉलिटिक्स पवार और उद्धव का चढ़ा पारा आखिर कांग्रेस से क्यों खफा हैं अघाड़ी के दो बड़े दिग्गज?

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News India Live, Digital Desk : महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से "खिचड़ी" पकने लगी है, लेकिन इस बार स्वाद थोड़ा कड़वा लग रहा है। महाविकास अघाड़ी (MVA) जो भाजपा को टक्कर देने के लिए बनी थी उसमें सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। "अंदर की खबर" यह है कि मराठा क्षत्रप शरद पवार (Sharad Pawar) और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) कांग्रेस की लीडरशिप से खासे नाराज हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि अचानक ऐसा क्या हो गया? दरअसल, यह नाराजगी छोटी-मोटी नहीं, बल्कि आगामी बीएमसी (BMC) चुनावों और कांग्रेस के "अड़ियल रवैये" को लेकर है।

कांग्रेस की 'धीमी चाल' या 'ओवर कॉन्फिडेंस'?

सियासी गलियारों में चर्चा है कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे इस बात से परेशान हैं कि कांग्रेस फैसले लेने में बहुत देरी कर रही है। सूत्र बताते हैं कि हाल के चुनावों के बाद कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व (Local Leadership) अपनी सीटों और दावेदारी को लेकर काफी आक्रामक हो गया है।

खासतौर पर मुंबई (BMC Elections) को लेकर पेच फंसा हुआ है। उद्धव ठाकरे मुंबई को अपनी "नाक" का सवाल मानते हैं, क्योंकि यह शिवसेना का गढ़ रहा है। लेकिन खबरों की मानें तो कांग्रेस मुंबई की कई सीटों पर अपना हक जमा रही है, जो उद्धव कैंप को नागवार गुजर रहा है। पवार साहब, जो राजनीति के चाणक्य माने जाते हैं, उन्हें भी कांग्रेस का यह तरीका रास नहीं आ रहा कि वे जमीनी हकीकत को नजरअंदाज कर "बड़े भाई" की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहे हैं।

बातचीत बंद, टेंशन चालू?

कहा जा रहा है कि तालमेल की कमी इतनी बढ़ गई है कि कुछ जरूरी मीटिंग्स या फैसलों में भी एक राय नहीं बन पा रही। दोनों क्षेत्रीय दलों को लगता है कि अगर भाजपा जैसी मशीनरी से लड़ना है, तो फुर्ती और एकता दिखानी होगी, जो फ़िलहाल कांग्रेस की तरफ से मिसिंग लग रही है।

उद्धव ठाकरे का साफ मानना है कि जब बुरे वक्त में उन्होंने साथ निभाया, तो अब सीट बंटवारे में अड़ंगा क्यों? वहीं, पवार यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर अघाड़ी को बचाना है, तो 'गिव एंड टेक' करना ही पड़ेगा।

आगे क्या होगा?

यह तनातनी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है—क्या बीएमसी चुनाव से पहले MVA बिखर जाएगी? अगर तीनों दल अलग-अलग लड़े, तो सीधा फायदा विरोधियों को होगा। यह बात पवार और ठाकरे दोनों जानते हैं, शायद इसीलिए अभी बात नाराजगी तक सीमित है। लेकिन अगर कांग्रेस हाईकमान ने जल्द ही डैमेज कंट्रोल नहीं किया, तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक और बड़ा "उलटफेर" देखने को मिल सकता है।

फिलहाल तो मातोश्री और सिल्वर ओक (पवार का घर) से आ रही हवाओं में गर्मी साफ़ महसूस की जा सकती है। जनता के लिए यह ड्रामा देखना दिलचस्प होगा।

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