भारत के लिए खतरे की घंटी: स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की चौंकाने वाली रिपोर्ट के अनुसार, 100% स्वच्छ हवा प्राप्त करने में 188 साल लगेंगे

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भारत की वायु गुणवत्ता: भारत में सर्दियों के आगमन के साथ ही दिल्ली समेत कई प्रमुख शहरों में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक हो गया है। लोगों के लिए स्वच्छ हवा में सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। इस गंभीर स्थिति के बीच, अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट भारत के लिए बेहद चिंताजनक साबित हुई है। इस अध्ययन में दावा किया गया है कि जिस गति से भारत प्रदूषण से लड़ रहा है, उसे देखते हुए देश को शत प्रतिशत स्वच्छ हवा प्राप्त करने में 188 साल लग सकते हैं।

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के पर्यावरण विशेषज्ञों ने विश्व के लगभग 150 देशों में प्रदूषण की स्थिति का गहन अध्ययन किया। इस रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ है कि भारत को अपने ऊर्जा तंत्र से वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह से समाप्त करने में दो शताब्दियाँ, यानी लगभग 188 वर्ष लग सकते हैं। यह आंकड़ा पर्यावरणविदों और नीति निर्माताओं के लिए एक चेतावनी है। इस अध्ययन में अमेरिका का भी उल्लेख है, जिसके अनुसार अमेरिका को इस लक्ष्य को प्राप्त करने में वर्ष 2128 तक का समय लग सकता है।

चीन भारत से कई गुना आगे है

इस रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाली बात भारत और चीन की तुलना है। चीन, जहां दुनिया भर की कई चीजों का निर्माण होता है और बड़ी संख्या में कारखाने चल रहे हैं, प्रदूषण नियंत्रण में भारत से कहीं आगे है। स्टैनफोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, यदि चीन मौजूदा गति से आगे बढ़ता रहा, तो वह केवल 25 वर्षों में स्वच्छ वायु का लक्ष्य हासिल कर लेगा। प्रदूषण के खिलाफ चीन के कड़े उपाय और हरित ऊर्जा की ओर उसका अभियान उसे भारत से कहीं अधिक कुशल साबित कर रहे हैं।

भारत की वर्तमान स्थिति: प्रदूषित शहरों में सबसे आगे

रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े भारत की भयावह वास्तविकता को दर्शाते हैं। भारत पहले से ही विश्व के सबसे प्रदूषित देशों में से एक है। 'विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2023' के आंकड़ों पर नजर डालें तो विश्व के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में से 83 शहर अकेले भारत में हैं। यह आंकड़ा शहरी क्षेत्रों में स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

इसके अलावा, प्रदूषण का सीधा असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। पहले के शोध के अनुसार, 2022 में भारत में मानव निर्मित वायु प्रदूषण के कारण अनुमानित 17 लाख लोगों की जान गई। स्टैनफोर्ड की यह रिपोर्ट महज़ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि भारत की पर्यावरण नीति और उसके धीमी गति से हो रहे कार्यान्वयन के प्रति एक चेतावनी है। यदि स्वच्छ ऊर्जा और प्रदूषण नियंत्रण पर युद्धस्तर पर काम नहीं किया गया, तो आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ हवा के लिए सदियों तक इंतजार करना पड़ सकता है।

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