Vijay Mallya Case : न लंदन की दलीलें, न वकीलों के बहाने कोर्ट को चाहिए वापसी की तारीख
News India Live, Digital Desk : विजय माल्या का नाम तो आपने सुना ही होगा। वही "किंग ऑफ गुड टाइम्स", जो भारतीय बैंकों के हजारों करोड़ रुपये लेकर लंदन में बैठे हैं। साल 2016 में जब वे देश छोड़कर गए थे, तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि उनकी वापसी का इंतज़ार इतना लंबा खिंच जाएगा। अब साल 2025 खत्म होने को है, लेकिन वो "लौट के बुद्धू घर" अभी तक नहीं आए।
इसी मुद्दे पर अब बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने माल्या के वकील से एक ऐसा सवाल पूछा है, जो हम सब (खासकर बैंक वाले) सालों से पूछना चाह रहे हैं।
कोर्ट रूम में क्या हुआ?
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट का मूड थोड़ा सख्त नजर आया। जब माल्या की तरफ से वकीलों की दलीलें चल रही थीं, तब बेंच ने सीधा सवाल किया कि "विजय माल्या का भारत लौटने का क्या इरादा है? वे कब तक वापस आएंगे?"
यह सवाल सिर्फ एक तारीख जानने के लिए नहीं था, बल्कि यह एक इशारा है कि भारतीय न्याय व्यवस्था (Indian Judiciary) इस मामले को भूली नहीं है। कोर्ट जानना चाहती है कि क्या माल्या खुद से लौटने की कोई मंशा रखते हैं या सिर्फ प्रत्यर्पण (Extradition) की कानूनी पेचीदगियों के सहारे वक्त काटना चाहते हैं।
9 साल से चल रहा है 'चोर-पुलिस' का खेल
याद दिला दें कि माल्या मार्च 2016 में भारत से यूके (UK) भाग गए थे। उन पर एसबीआई (SBI) समेत कई बैंकों के करीब 9,000 करोड़ रुपये (ब्याज मिलाकर राशि और ज्यादा हो चुकी है) न चुकाने का आरोप है। भारत सरकार ने उन्हें 'भगोड़ा आर्थिक अपराधी' (Fugitive Economic Offender) घोषित कर रखा है।
लंदन की अदालतों में भी माल्या कई बार केस हार चुके हैं, लेकिन कानूनी दांव-पेच और 'गोपनीय कार्यवाही' का हवाला देकर उनकी वापसी लटकी हुई है। ऐसे में भारतीय कोर्ट का यह सवाल माल्या पर नैतिक दबाव बनाने वाला है।
आम जनता का क्या है सोचना?
सच कहें तो, आम आदमी के लिए यह मामला अब किसी टीवी सीरियल जैसा हो गया है, जो खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। बैंक अपना पैसा वापस चाहते हैं, और देश की जनता यह देखना चाहती है कि कानून सबके लिए बराबर है चाहे वह कोई बड़ा बिजनेस टाइकून हो या आम आदमी।
बॉम्बे हाईकोर्ट का यह सवाल वकीलों को जरूर असहज कर गया होगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि अगली सुनवाई में माल्या के वकील क्या जवाब लेकर आते हैं क्या कोई पक्की तारीख मिलेगी, या फिर वही पुरानी "तारीख पे तारीख"?
फिलहाल, लंदन में बैठे माल्या को यह संदेश तो मिल ही गया होगा कि भारत उनका इंतज़ार कर रहा है स्वागत के लिए नहीं, बल्कि हिसाब-किताब के लिए!
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