कंगाल पाकिस्तान का खतरनाक दांव: 4 अरब डॉलर के लिए यूएन के नियमों की उड़ाई धज्जियां

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News India Live, Digital Desk: हम सब जानते हैं कि पाकिस्तान इन दिनों भारी आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। हालत यह है कि उसे अपना खर्चा चलाने के लिए इधर-उधर हाथ-पांव मारने पड़ रहे हैं। लेकिन हाल ही में जो खबर आई है, उसने सबको चौंका दिया है। अपनी खाली जेब भरने के लिए पाकिस्तान ने अब एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय कानूनों की धज्जियां उड़ा दी हैं। खबर है कि पाकिस्तान ने लीबिया (Libya) की एक मिलिट्री फोर्स के साथ 4 अरब डॉलर (करीब 33 हजार करोड़ रुपये) का हथियारों का सौदा पक्का किया है।

यह डील इतनी विवादित क्यों है?

सबसे बड़ी बात यह है कि जिस देश को पाकिस्तान हथियार बेच रहा है, वह संयुक्त राष्ट्र (UN) के 'आर्म्स एम्बार्गो' यानी हथियार प्रतिबंध के दायरे में आता है।लीबिया में सालों से गृहयुद्ध चल रहा है और वहां शांति बनाए रखने के लिए यूएन ने किसी भी तरह के हथियार बेचने पर रोक लगा रखी है। लेकिन पैसों की मजबूरी में पाकिस्तान ने इन नियमों को ताक पर रख दिया।

किसे मिल रहे हैं ये हथियार?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान, लीबिया की सरकार को नहीं, बल्कि पूर्वी लीबिया में सक्रिय लीबियन नेशनल आर्मी (LNA) को हथियार बेच रहा है।इस सेना का नेतृत्व जनरल खलीफा हफ्तार करते हैं, जो वहां की मौजूदा सरकार के विरोधी माने जाते हैं।

कहा जा रहा है कि यह डील तब पक्की हुई जब पाकिस्तान के आर्मी चीफ, असीम मुनीर, लीबिया के शहर बेंगाजी गए और वहां जनरल हफ्तार के बेटे सद्दाम हफ्तार से मिले।

क्या-क्या बेच रहा है पाकिस्तान?

आप सोच रहे होंगे कि आखिर 4 अरब डॉलर में ऐसा क्या बेचा जा रहा है? लिस्ट काफी लंबी और खतरनाक है। इस डील में पाकिस्तान और चीन द्वारा मिल कर बनाए गए JF-17 फाइटर जेट्स और सुपर मुशशक (Super Mushshak) ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट शामिल हैं।[ इसके अलावा जमीनी और समुद्री लड़ाई के साजो-सामान भी भेजे जाएंगे। यह डील अगले ढाई साल में पूरी की जाएगी।

पाकिस्तान की मजबूरी और दुनिया की चिंता

सीधी सी बात है, पाकिस्तान के लिए यह डील "मरता क्या न करता" जैसी है। उसकी अर्थव्यवस्था गर्त में है और उसे फॉरेन करेंसी की सख्त जरूरत है। 4 अरब डॉलर की यह रकम उसके लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। लेकिन दुनिया के लिए यह चिंता का विषय है। अगर ऐसे प्रतिबंधित क्षेत्रों में धड़ल्ले से हथियार बेचे जाएंगे, तो वहां चल रही हिंसा की आग और भड़क सकती है।

अब देखना यह होगा कि संयुक्त राष्ट्र इस पर क्या एक्शन लेता है। क्या पाकिस्तान पर कोई नया दबाव बनाया जाएगा या फिर वह इस बार भी बच निकलेगा? यह वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात साफ है—पैसों की भूख अक्सर नियमों को निगल जाती है।

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