Russia-Ukraine War : जिसको अब तक अफवाह समझा जा रहा था, वो सच निकला उत्तर कोरियाई फौज पर बड़ा खुलासा
News India Live, Digital Desk : दुनिया भर में काफी समय से कानाफूसी चल रही थी कि रूस और यूक्रेन की जंग में अब सिर्फ रूसी सैनिक नहीं लड़ रहे, बल्कि उत्तर कोरिया (North Korea) की फौज भी चुपके से इस आग में कूद पड़ी है। सैटेलाइट तस्वीरें और ख़ुफ़िया रिपोर्ट्स तो यही कह रही थीं, लेकिन आधिकारिक तौर पर हमेशा चुप्पी साधी गई। मगर अब, उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong Un) ने खुद सामने आकर एक ऐसा सच कबूला है, जिसने पश्चिमी देशों की नींद उड़ा दी है।
जी हां, किम जोंग उन ने पहली बार माना है कि उनके सैनिकों ने रूस के 'कुर्स्क' (Kursk) इलाके में जान की बाजी लगाकर "सबसे खतरनाक काम" (Most Dangerous Tasks) अंजाम दिए हैं।
पुतिन के लिए 'मोहरे' बने उत्तर कोरियाई सैनिक?
सोचने वाली बात ये है कि अपने देश में लोहे की दीवार खड़ी रखने वाला किम जोंग उन, अपनी सेना को हजारों मील दूर मरने के लिए क्यों भेज रहा है? रिपोर्ट्स की मानें, तो व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी दोस्ती अब सिर्फ हाथ मिलाने तक सीमित नहीं रही है।
किम ने अपने बयान में कहा कि जब रूस को कुर्स्क फ्रंट पर सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही थी, तब उत्तर कोरियाई सैनिकों ने ही मोर्चा संभाला था। ये वो काम थे जिनसे शायद रूसी सैनिक भी कतरा रहे थे या जहाँ जान जाने का जोखिम 100% था। सीधे शब्दों में कहें तो किम ने अपने जवानों को बारूदी सुरंगों और तोपों के सीधे निशाने पर झोंक दिया।
कुर्स्क ही क्यों?
आपको याद होगा कि युद्ध के दौरान यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क इलाके में घुसपैठ कर दी थी। यह रूस के लिए इज्जत का सवाल बन गया था। ऐसे नाजुक समय में पुतिन को एक ऐसी फ़ोर्स चाहिए थी जो सवाल न पूछे और सीधे आदेश माने। किम जोंग उन ने अपनी वही "वफादार सेना" रूस को तोहफे में दे दी।
जानकारों का कहना है कि यह "दोस्ती" फ्री में नहीं हो रही है। इसके बदले में रूस, उत्तर कोरिया को खतरनाक मिसाइल तकनीक और शायद आर्थिक मदद दे रहा है।
सैनिकों की हालत: न भाषा आती है, न इलाका पता है
जरा उन उत्तर कोरियाई सैनिकों के बारे में सोचिये। उन्हें न रूसी भाषा आती है, न वहां के भूगोल का पता है, और न ही आधुनिक युद्ध लड़ने का तजुर्बा है। उन्हें बस एक आदेश मिला और वो 'कुर्बानी का बकरा' बनने पहुंच गए। किम जोंग उन का यह कहना कि उन्होंने "खतरनाक टास्क" किये, यह बताने के लिए काफी है कि वहां कितने सैनिकों ने अपनी जान गवाई होगी, जिसका शायद कोई रिकॉर्ड भी न मिले।
दुनिया के लिए खतरे की घंटी
यह खबर इसलिए डरावनी है क्योंकि अब यह दो देशों की लड़ाई नहीं रही। इसमें तीसरे और चौथे देश भी घुस रहे हैं। अमेरिका और नाटो (NATO) पहले से ही चिंतित थे, और अब किम के इस खुले ऐलान ने आग में घी डालने का काम किया है।
अब सवाल यह है कि क्या पुतिन और किम की यह जोड़ी दुनिया को एक और बड़े युद्ध (World War) की तरफ धकेल रही है? किम का यह बयान कोई साधारण खबर नहीं, बल्कि आने वाले बुरे वक्त का ट्रेलर हो सकता है।
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