Sudan Crisis : शांतिदूतों का ही हो गया कत्लेआम सूडान में UN के ठिकाने पर ड्रोन हमला, 6 की मौत

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News India Live, Digital Desk : दुनिया का एक कोना ऐसा भी है जहां शांति की बात करने वालों को ही निशाना बनाया जा रहा है। सूडान (Sudan) में चल रहे खूनी गृहयुद्ध ने अब सारी हदें पार कर दी हैं। एक बेहद दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है वहां मौजूद संयुक्त राष्ट्र (UN) की फैसिलिटी पर एक भीषण ड्रोन हमला हुआ है।

इस कायराना हमले में 6 शांतिरक्षकों (Peacekeepers) की जान चली गई है। जो जवान वहां दूसरों को बचाने और अमन कायम करने गए थे, वे खुद राजनीति और जंग की आग में झुलस गए। यह घटना कडुगली (Kadugli) इलाके में हुई है, जिसके बाद से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है।

आखिर हुआ क्या था?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमला उस वक्त हुआ जब सब कुछ सामान्य लग रहा था। अचानक आसमान से मौत बरसी और UN के ठिकाने को निशाना बनाया गया। यह हमला कितना सटीक और सुनियोजित था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीधे उस जगह को हिट किया गया जहां जवान मौजूद थे।

"कडुगली" ही क्यों? (What is Kadugli Area?)

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये 'कडुगली' है क्या और यहाँ इतनी मार-काट क्यों मची है? इसे आसान भाषा में समझिए।

कडुगली साउथ कोर्डोफन (South Kordofan) राज्य की राजधानी है। सूडान के नक्शे पर यह जगह एक "बारूद के ढेर" की तरह है।

  1. रणनीतिक महत्व: यह शहर पहाड़ियों से घिरा है और यहाँ सैन्य पकड़ बनाना आसान होता है।
  2. तेल का खेल: इस इलाके के आसपास तेल (Oil) के भंडार हैं, जिस पर हर गुट अपना कब्जा चाहता है।
  3. बॉर्डर एरिया: यह इलाका दक्षिण सूडान की सीमा के काफी करीब है, जो इसे और भी संवेदनशील बनाता है।

यही वजह है कि सूडान की सेना और विद्रोही गुटों (जैसे RSF) के बीच इस शहर पर कब्ज़े की होड़ लगी रहती है। और जब दो हाथियों की लड़ाई होती है, तो कुचली हमेशा घास जाती है यहाँ घास का मतलब 'आम नागरिक' और 'शांति सैनिक' हैं।

UN वहां कर क्या रहा था?

संयुक्त राष्ट्र ने सूडान में अपनी पीसकीपिंग फोर्स (UNISFA या अन्य मिशन के तहत) तैनात कर रखी है ताकि दशकों से चली आ रही हिंसा को रोका जा सके और वहां फँसे बेगुनाह लोगों की मदद की जा सके। लेकिन अब हालत यह है कि रक्षक ही सुरक्षित नहीं हैं।

दुनिया के लिए खतरे की घंटी

सूडान का यह गृहयुद्ध (Civil War) अब सिर्फ एक देश का मामला नहीं रह गया है। जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय संगठनों को टारगेट किया जा रहा है, वह बताता है कि वहां कानून नाम की कोई चीज नहीं बची है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कडुगली जैसे अहम शहरों में हिंसा नहीं रुकी, तो पूरा क्षेत्र अस्थिर हो जाएगा और इसका असर वैश्विक तेल कीमतों और शरणार्थी संकट पर पड़ सकता है।

फिलहाल, UN ने इस हमले की कड़ी निंदा की है, लेकिन सवाल वही है निंदा से क्या मरने वाले वापस आ जाएंगे? या फिर सूडान की यह आग ऐसे ही जलती रहेगी

 

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