बर्फ के रेगिस्तान में बिहार का नाम नालंदा की आरती ने अंटार्कटिका पहुँचकर रचा इतिहास

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News India Live, Digital Desk : अक्सर हम सुनते हैं कि "एक बिहारी, सब पर भारी", लेकिन नालंदा की एक बेटी ने इस कहावत को एक नई ऊँचाई दे दी है। हम बात कर रहे हैं नालंदा की मौसम वैज्ञानिक (Meteorologist) आरती की, जिन्होंने वो कर दिखाया है जो आज तक बिहार की किसी महिला ने नहीं किया था।

जरा सोचिए, जहाँ का तापमान माइनस डिग्री में हो, चारों तरफ सिर्फ बर्फ की सफेदी हो और जहाँ सामान्य जीवन जीना चुनौती से कम न हो जी हाँ, अंटार्कटिका (Antarctica)। वहां अब बिहार की मौजूदगी दर्ज हो चुकी है।

नालंदा से निकलकर सीधे "साउथ पोल" की ओर

आरती, जो नालंदा जैसे ऐतिहासिक जिले से आती हैं, ने साबित कर दिया है कि अगर हौसला बुलंद हो तो दुनिया का कोई भी कोना दूर नहीं है। वह अंटार्कटिका जाने वाले भारतीय दल का हिस्सा बनी हैं और ऐसा करने वाली वह बिहार की पहली महिला बन गई हैं। यह खबर सिर्फ उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार के लिए सीना चौड़ा करने वाली है।

क्यों ख़ास है यह उपलब्धि?

अंटार्कटिका जाना कोई छुट्टियों की ट्रिप नहीं है। यह पृथ्वी का सबसे ठंडा, सबसे सूखा और सबसे तेज हवाओं वाला महाद्वीप है। यहाँ भारत अपने वैज्ञानिक मिशन भेजता है, और इन मिशनों के लिए चयन होना ही अपने आप में लोहे के चने चबाने जैसा है।
आरती एक मौसम वैज्ञानिक हैं। वहां उनकी जिम्मेदारी मौसम के बदलावों को समझना और उस विषम परिस्थिति में रिसर्च करना है। एक छोटे से शहर से निकलकर ग्लोबल लेवल पर रिसर्च करना उन लाखों लड़कियों के लिए एक मिसाल है जो विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती हैं।

परिवार और समाज के लिए भावुक पल

जैसे ही यह खबर सामने आई, नालंदा में खुशी की लहर दौड़ गई। एक मिडिल क्लास परिवार की बेटी का इतने कठिन मिशन के लिए चुना जाना यह बताता है कि परवरिश और पढ़ाई में लड़का-लड़की का भेद अब खत्म हो रहा है। आरती की यह सफलता उन सभी माता-पिता के लिए एक संदेश है कि अपनी बेटियों के सपनों पर भरोसा करें, वे आपको अंटार्कटिका की ऊंचाइयों तक ले जा सकती हैं।

आरती की यह यात्रा आसान नहीं थी, कड़ी मेहनत और पढ़ाई के बल पर उन्होंने 'भारतीय मौसम विभाग' में अपनी जगह बनाई और अब वह देश के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन पर हैं।

हम आरती को इस शानदार सफर और जज्बे के लिए सलाम करते हैं। उन्होंने बता दिया कि टैलेंट का कोई पता नहीं होता, वो कहीं से भी निकल सकता है यहाँ तक कि नालंदा की गलियों से अंटार्कटिका की वादियों तक!

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