उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों मंदिरों की खोज और खुदाई को लेकर गरमा गई है। संभल से शुरू हुआ यह सिलसिला अब प्रदेश के कई हिस्सों में शिवलिंग और मंदिर मिलने के दावों के साथ तेजी से बढ़ रहा है। इसी बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को एक नया विवादित दावा किया। उन्होंने कहा कि लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस सीएम आवास में रहते हैं, उसके नीचे भी शिवलिंग है और उसकी खुदाई होनी चाहिए। यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
अखिलेश यादव का दावा: मुख्यमंत्री आवास के नीचे शिवलिंग
अखिलेश यादव ने सपा मुख्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “मुख्यमंत्री आवास के नीचे शिवलिंग है। यह हमारी जानकारी है। इसकी भी खुदाई होनी चाहिए।” इस बयान के बाद राजनीति में हलचल मच गई। अखिलेश के इस दावे को संभल में हो रही खुदाई और मंदिरों की खोज से जोड़ा जा रहा है।
संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के बाद हुई हिंसा और उसके बाद प्रशासन द्वारा मुस्लिम इलाकों में चलाए गए बिजली चोरी अभियान और मंदिरों के पुनरुद्धार कार्य पर अखिलेश पहले भी सवाल उठा चुके हैं। अब उनके इस नए बयान ने राजनीतिक चर्चा को और तीखा कर दिया है।
संभल की खुदाई और राजनीतिक आरोप
संभल में पुरानी बावड़ियों और कुओं की खुदाई का काम चल रहा है। वहीं, जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है। इन घटनाओं को लेकर अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह पूरी कवायद सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए की जा रही है। उन्होंने कहा, “सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि मंदिर और शिवलिंग के नाम पर की जा रही यह राजनीति प्रदेश को कहां ले जाएगी।”
राजभवन के निर्माण और बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल
अखिलेश यादव ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के बुलडोजर का इस्तेमाल केवल चुनिंदा समुदायों और विपक्ष के लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। अखिलेश ने कहा, “राजभवन के बाहर हुए कंस्ट्रक्शन का नक्शा क्या पास है? वहां बुलडोजर कब जाएगा?”
उन्होंने भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जब मैं नए घर में जा रहा था तो मेरे खिलाफ पीआईएल दायर की गई। मैं जानता हूं कि इसे दायर करने वाले कौन थे।
महाकुंभ की तैयारियों पर हमला
अखिलेश यादव ने प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ की तैयारियों को लेकर भी भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन आस्था का विषय होते हैं, इसमें लोगों को बुलाने की जरूरत नहीं होती। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिल्ली जाकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह समेत अन्य नेताओं को न्योता देने पर अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा, “कुंभ में निमंत्रण नहीं दिया जाता। लोग अपनी आस्था से आते हैं। यह सरकार दिखावा कर रही है।”
उन्होंने गंगा एक्सप्रेसवे के अधूरे कार्यों पर भी सवाल खड़े किए। अखिलेश ने कहा, “सरकार ने वादा किया था कि गंगा एक्सप्रेसवे कुंभ से पहले शुरू होगा, लेकिन आज तक इसका उद्घाटन नहीं हुआ।”
ईवीएम पर दोबारा सवाल
अखिलेश यादव ने एक बार फिर ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि ईवीएम के कारण हारने वाला अपनी हार और जीतने वाला अपनी जीत पर विश्वास नहीं कर पाता। अखिलेश ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग करते हुए कहा, “बैलेट चुनाव की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता है। हमें ईवीएम की जगह बैलेट से चुनाव कराना चाहिए।”
अखिलेश की रणनीति और भाजपा पर निशाना
अखिलेश यादव के इन बयानों से साफ है कि वह भाजपा को हर मुद्दे पर घेरने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। मंदिरों की खुदाई से लेकर कुंभ की तैयारियों और बुलडोजर राजनीति तक, अखिलेश यादव हर मुद्दे को सरकार के खिलाफ मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस विवाद के बढ़ने से यह सवाल उठता है कि क्या यह घटनाएं धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार का हिस्सा हैं या राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बन रही हैं?