निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर एसीबी कोर्ट में पेश, अभिरक्षा में लेकर कोर्ट ने दी जमानत

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जयपुर, 5 अक्टूबर (हि.स.)। नगर निगम के पट्टे जारी करने की एवज में रिश्वत लेने से जुडे मामले में हेरिटेज नगर निगम की निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर शनिवार को एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 में समर्पण किया। जहां अदालत ने उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में लिया, हालांकि बाद में अदालत ने उसकी जमानत अर्जी को स्वीकार कर 25 हजार रुपये की दो जमानत व स्वयं के 50 हजार रुपये के मुचलके पर रिहा करने के आदेश दिए। अदालत ने मामले के सह आरोपिताें की जमानत हाईकोर्ट पूर्व में स्वीकार कर चुका है। मुनेश पर लगाए गए आरोप इन आरोपिताें से अलग नहीं है। इसके अलावा जांच एजेंसी की ओर से ऐसी कोई साक्ष्य अदालत में पेश नहीं की गई है, जिससे यह माना जा सके कि वह जमानत लेने के बाद गवाहों को प्रभावित करेगी या ट्रायल में बाधा डालेगी। इसके अलावा प्रकरण में चालान पेश किया जा चुका है। इसलिए आरोपित की जमानत अर्जी स्वीकार की जाती है।

जमानत अर्जी में अधिवक्ता दीपक चौहान ने अदालत को बताया कि मामले में जांच पूरी होकर आरोप पत्र पेश हो चुका है। एसीबी ने मुनेश को अभिरक्षा में लेकर अनुसंधान करने की जरूरत नहीं समझी और ना ही उसे अभिरक्षा में लिया गया। उसके खिलाफ आरोप पत्र पेश होने की सूचना पर वह वकील के जरिए पेश हो गई थी। इसके अलावा प्रकरण के परिवादी सुधांशु सिंह का कोई काम निगम में लंबित नहीं था और जिन लोगों के पट्टे लंबित थे, उनकी ओर से एसीबी में शिकायत नहीं की गई। परिवादी ने स्वयं निगम से पट्टे दिलाने का काम करना बताया है। जो कि अपने आप में अवैध है। निगम के नियमों में निजी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के पट्टे संबंधी कार्य कराने के लिए अधिकृत करने की व्यवस्था नहीं है। परिवादी लोगों को ब्लैकमेल कर राशि हड़पने का काम करता है। ऐसे में उसे जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए। इसका विरोध करते हुए शिकायतकर्ता के वकील पीसी भंडारी ने कहा कि मामले में मुनेश गुर्जर मुख्य आरोपित है। वह अपने पति व दलालों के जरिए रिश्वत लेकर पट्टे पर साइन करती थी। मुनेश ने अपने स्तर पर ही पट्टों को अपने घर मंगाने की व्यवस्था कर रखी थी। एसीबी कार्रवाई के दौरान भी वहां पट्टों से संबंधित 6 पत्रावलियां व 41 लाख रुपये से अधिक की राशि बरामद हुई थी। इसके अलावा उनके कार्यकाल में 7 हजार पांच सौ पट्टे जारी किए गए। प्रकरण के एक अन्य आरोपित अनिल कुमार के खिलाफ सीबीआई के भी तीन मामले हैं। एसीबी ने मामले में अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद भी मुनेश को गिरफ्तार नहीं किया। इससे साबित है कि वह प्रभावशाली है। ऐसे में उनके प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जाना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो हर आरोपित आरोप पत्र दायर होने के बाद कोर्ट में पेश होकर जमानत ले लेगा। वहीं एसीबी की ओर से सरकारी वकील ने कहा कि मामला देश की अर्थव्यवस्था से जुडा है। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जाए। सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने मुनेश को जमानत का लाभ दिया है।

प्रतापसिंह पर लगाए आरोप

दूसरी ओर मुनेश ने अदालत कक्ष के बाहर बातचीत में कहा कि उसे राजनीतिक द्वेषता के कारण फंसाया गया है। जयपुर की जनता ने विधानसभा और लोकसभा में पूर्व मंत्री प्रताप सिंह को जवाब दे दिया है। मैं भी लोक सेवक हूं और वे भी लोक सेवक हैं, लोक सेवक को जनता जवाब देती है।