बांग्लादेश के हालात शेख हसीना ने तोड़ी चुप्पी, यूनुस सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

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News India Live, Digital Desk : बांग्लादेश में इन दिनों जो कुछ भी हो रहा है, उसने न सिर्फ वहां के आम लोगों को डरा दिया है, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। सत्ता परिवर्तन के बाद उम्मीद थी कि शायद सब कुछ शांत हो जाएगा, लेकिन हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ते जा रहे हैं। इसी बीच, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी चुप्पी तोड़ी है और मौजूदा अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को जमकर खरी-खोटी सुनाई है।

'यह अराजकता नहीं तो और क्या है?'

शेख हसीना का दर्द साफ झलक रहा है। उनका कहना है कि देश में कानून का राज खत्म हो चुका है और उसकी जगह 'भीड़ तंत्र' ने ले ली है। ढाका से लेकर अलग-अलग शहरों में जो हिंसा हो रही है, उसे लेकर उन्होंने मोहम्मद यूनुस पर तीखे सवाल उठाए हैं। हसीना ने साफ लफ्जों में कहा कि देश में धार्मिक कट्टरपंथ इस कदर हावी हो गया है कि अब किसी की जान सुरक्षित नहीं है।

उस्मान की मौत और मॉब लिंचिंग का खौफ

हसीना ने अपनी बात रखते हुए उस्मान हादी की मौत का जिक्र किया, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। सरेआम सड़कों पर लोगों को मारा जा रहा है। उन्होंने खास तौर पर मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि जिस तरह से भीड़ हिंसा कर रही है और अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, वह दिल दहला देने वाला है।

ये घटनाएं बताती हैं कि किस तरह नफरत का जहर समाज में घोला जा रहा है। शेख हसीना का कहना है कि यूनुस सरकार इन उपद्रवियों को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। उल्टे, ऐसा लग रहा है कि हिंसा करने वालों को कहीं न कहीं छूट मिली हुई है।

क्या बांग्लादेश गलत रास्ते पर जा रहा है?

जिस बांग्लादेश को बनाने में इतना खून-पसीना लगा, आज उसे जलता देख हसीना काफी भावुक हैं। उन्होंने दुनिया को यह बताने की कोशिश की है कि वहां अल्पसंख्यकों का जीना मुश्किल हो गया है। धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है और लोगों के दिलों में इतना डर बैठ गया है कि वे अपने घरों में भी महफूज नहीं महसूस कर रहे।

शेख हसीना का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक हमला नहीं है, बल्कि यह बांग्लादेश की उस जमीनी हकीकत को बयां करता है, जिसे शायद छिपाने की कोशिश की जा रही है। अब सवाल यह है कि क्या मोहम्मद यूनुस और उनकी सरकार इस नफरत की आग को बुझा पाएगी, या बांग्लादेश कट्टरपंथ की एक और गहरी खाई में गिर जाएगा?

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