डिजिटल गिरफ्तारी कार्रवाई: डिजिटल गिरफ्तारी के मामलों ने पूरे देश में तबाही मचा दी है। लोगों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। सरकार भी इस बात से चिंतित है। पिछले कुछ महीनों में डिजिटल गिरफ्तारियां करने वालों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई की गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने 3,962 से ज्यादा स्काइप आईडी और 83 हजार 668 व्हाट्सएप अकाउंट ब्लॉक कर दिए हैं। वे इस आईडी का उपयोग करके डिजिटल गिरफ्तारी का अपराध कर रहे हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री संजय बंदी कुमार ने इसकी जानकारी दी है। इसके अलावा 28 फरवरी तक 7.81 लाख से अधिक सिम कार्ड और 2 लाख 8 हजार 469 IMEI नंबर ब्लॉक किए जा चुके हैं। डिजिटल गिरफ्तारी के संबंध में साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
अधिक कार्रवाई की आवश्यकता
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा है कि जिन खातों को ब्लॉक किया गया है उनका इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है। यह एक महत्वपूर्ण सफलता है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। सरकार ऐसे अकाउंट पर कड़ी नजर रख रही है और उन्हें एक-एक करके ब्लॉक किया जा रहा है।
7.81 लाख सिम कार्ड ब्लॉक किये गये
सरकार ऐसी गतिविधियों में शामिल मोबाइल नंबरों के खिलाफ भी कार्रवाई कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने बताया है कि 28 फरवरी तक 7.81 लाख से ज्यादा सिम कार्ड और 2 लाख 8 हजार 469 IMEI नंबर ब्लॉक कर दिए गए हैं।
यह प्रक्रिया कार्यान्वित की गई।
पुलिस डिजिटल गिरफ्तारी के मामलों की जांच करती है। जब भी उसे कोई मोबाइल नंबर, व्हाट्सएप अकाउंट या स्काइप आईडी इसमें शामिल पाया जाता है, तो उसकी जानकारी सरकार के साथ साझा की जाती है। इसके बाद नंबर और आईडी को ब्लॉक कर दिया जाता है ताकि कोई अन्य व्यक्ति धोखाधड़ी का शिकार न हो।
डिजिटल गिरफ्तारी क्या है?
सोशल मीडिया की मदद से डिजिटल गिरफ्तारी के जरिए धोखाधड़ी की जा रही है। और कई महीनों से लोगों को परेशान किया जा रहा है और उनसे पैसे ऐंठे जा रहे हैं। इस प्रकार के अपराध में अपराधी स्वयं को सरकारी अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करता है। वह वीडियो कॉल करके पीड़िता को उसके ही घर में फंसाने की कोशिश करता है। पीड़ित को यह सोचकर धोखा दिया जाता है कि उनका कोई रिश्तेदार मुसीबत में है या उनके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। डिजिटल गिरफ्तारी के बाद पीड़ित से पैसे की मांग की जाती है।
सरकार जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रही है
डिजिटल गिरफ्तारी के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। दूरसंचार विभाग अलग-अलग भाषाओं में कॉलर ट्यून के साथ अभियान चला रहा है ताकि लोग डिजिटल ठगी के जाल में न फंसें। लोगों से अपील की जा रही है कि अगर कोई उन्हें सरकारी अधिकारी बनकर फोन करता है और पैसे की मांग करता है तो उन्हें डिजिटल तरीके से गिरफ्तार करने की योजना है।