भारत की एक दलील और फंस गए नीरव मोदी जानिए कोर्ट में क्या हुआ
News India Live, Digital Desk : भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के लिए लंदन से एक बुरी खबर आई है। अगर वह उम्मीद लगाए बैठा था कि उसे जल्दी राहत मिल जाएगी या वह भारत आने से बच जाएगा, तो उसे करारा झटका लगा है। उसकी प्रत्यर्पण (Extradition) यानी भारत भेजे जाने के खिलाफ जो सुनवाई होनी थी, उसे अब टाल दिया गया है। नई तारीख 2026 में मुकर्रर की गई है।
आखिर कोर्ट ने सुनवाई क्यों टाली?
इसके पीछे की वजह काफी दिलचस्प है और यह भारत सरकार के लिए एक कूटनीतिक जीत की तरह भी देखी जा रही है। दरअसल, मामले में भारत की तरफ से यूके कोर्ट को कुछ "पुख्ता आश्वासन" (Assurances) दिए गए हैं। ये आश्वासन आम तौर पर जेल की सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और कैदी के मानवाधिकारों को लेकर होते हैं।
अक्सर होता यह है कि भगोड़े "भारतीय जेलों की खराब हालत" का बहाना बनाकर प्रत्यर्पण रुकवाने की कोशिश करते हैं। लेकिन भारतीय एजेंसियों ने कोर्ट को जो भरोसा दिलाया, उससे कोर्ट संतुष्ट नजर आ रहा है या उसे और परखना चाहता है, जिसके चलते सुनवाई को आगे बढ़ा दिया गया है।
नीरव मोदी के लिए यह "झटका" क्यों है?
सुनने में लग सकता है कि सुनवाई टलना तो अच्छी बात है, लेकिन यहां मामला उल्टा है। नीरव मोदी फिलहाल लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है और वह लगातार जमानत की कोशिश करता रहा है, जो हर बार खारिज हो जाती है। सुनवाई टलने का सीधा मतलब है कि उसे जेल में ही और वक्त बिताना पड़ेगा। उसकी जल्द छूटने या मामले को रफा-दफा करने की कोशिशों पर फिलहाल पानी फिर गया है।
अगला साल (2026) होगा अहम
दोस्तों, साल 2025 अब खत्म होने को है, और जिस तरह से तारीख 2026 के लिए खिसकी है, साफ है कि अगले साल इस केस में कोई बड़ा फैसला आ सकता है। भारत सरकार और एजेंसियां पूरी ताकत लगाए हुए हैं कि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के इस मुख्य आरोपी को मुंबई लाया जाए और कानून का सामना करवाया जाए।
फिलहाल नीरव बाबू के लिए लंदन की सर्दियां और लंबी हो गई हैं, और "वतन वापसी" की तलवार उनके सिर पर पहले से ज्यादा नजदीक लटक रही है।
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