अग्निवीर के बाद अब फौज की तैनाती पर सवाल, पृथ्वीराज चव्हाण ने छेड़ा नया विवाद

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News India Live, Digital Desk :  सियासत में नेताओं के बोल कब बिगड़ जाएं और कब बवाल हो जाए, कहा नहीं जा सकता। इस बार निशाने पर हैं कांग्रेस के दिग्गज नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण। उन्होंने भारतीय सेना को लेकर एक ऐसा बयान दे दिया है, जिस पर दिल्ली से लेकर सोशल मीडिया तक तीखी बहस छिड़ गई है।

आखिर मामला क्या है?
दरअसल, पृथ्वीराज चव्हाण एक चर्चा के दौरान रक्षा क्षेत्र और सेना के खर्चों पर बात कर रहे थे। इसी बीच उन्होंने एक सलाह दे डाली जो कई लोगों को नागवार गुजरी। उनका कहना था कि भारत के पास जो 12 लाख सैनिकों की विशाल फौज है, उसे सिर्फ सीमाओं पर तैनात रखने की बजाय "दूसरे उत्पादक कामों" (Productive Work) में लगाया जाना चाहिए।

उनका तर्क यह था कि आज का दौर टेक्नोलॉजी और आधुनिक हथियारों का है। ऐसे में सिर्फ मैनपावर (सैनिकों की संख्या) बढ़ाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि हमें साइबर और स्पेस वॉरफेयर पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी वर्कफोर्स का इस्तेमाल देश के विकास से जुड़े अन्य कामों में भी होना चाहिए।

BJP ने लिया आड़े हाथों
जैसे ही यह बयान सामने आया, बीजेपी ने इसे हाथों-हाथ ले लिया। बीजेपी प्रवक्ताओं का कहना है कि यह सेना के शौर्य का अपमान है। उनका कहना है कि सैनिक सरहद पर खड़ा है, तभी देश सुरक्षित है और उसे "दूसरे कामों" में लगाने की बात करना सेना के मनोबल को गिराने जैसा है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा सेना के आकार और खर्च पर सवाल उठाती रही है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है।

अग्निवीर और पेंशन का मुद्दा भी जुड़ा
सियासी जानकारों की मानें तो चव्हाण का यह बयान 'अग्निपथ योजना' और सेना के बढ़ते पेंशन बिल के संदर्भ में आया है। अक्सर यह बहस होती रहती है कि क्या भारत को अपनी 'स्टैंडिंग आर्मी' (स्थायी सेना) कम करके टेक्नोलॉजी पर ज्यादा खर्च करना चाहिए? लेकिन जिस अंदाज में "दूसरे काम" शब्द का इस्तेमाल हुआ, उसने मामले को सियासी रंग दे दिया है।

सोशल मीडिया पर भी लोग दो हिस्सों में बंट गए हैं। एक गुट इसे आर्थिक सुधार की बात कह रहा है, तो दूसरा गुट इसे जवानों की तौहीन मान रहा है। अब देखना यह है कि कांग्रेस आलाकमान इस पर क्या सफाई देता है, क्योंकि चुनाव का मौसम हो या न हो, 'सेना' से जुड़े मुद्दे हमेशा जज्बात भड़का ही देते हैं।

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