लाल किला ब्लास्ट जिसे कश्मीर में समझ रहे थे, वो दिल्ली की भीड़ में छिपा था मौत का सौदागर
News India Live, Digital Desk : क्या आपको 10 नवंबर की वो तारीख याद है? जब दिल्ली का दिल, ऐतिहासिक लाल किला (Red Fort), एक जोरदार धमाके से दहल गया था। उस दिन जो दहशत फैली थी, उसे शायद हम कभी नहीं भूल पाएंगे। 11 लोगों की जान गई थी और न जाने कितने घायल हुए थे। अक्सर ऐसे बड़े हमलों के बाद हमें लगता है कि गुनहगार सीमा पार भाग गए होंगे, लेकिन सच कभी-कभी हमारी सोच से भी ज्यादा डरावना होता है।
इस केस में एक बहुत बड़ा अपडेट आया है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने यासिन अहमद डार (Yasin Ahmad Dar) नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया है। और सबसे चौंकाने वाली बात जानते हैं? यह गिरफ्तारी किसी जंगल या घाटी से नहीं, बल्कि अपनी ही दिल्ली से हुई है।
खतरा हमारे कितना पास था?
जाँच में सामने आया है कि यासिन मूल रूप से कश्मीर के शोपियां का रहने वाला है। वह इस केस का नौवां (9th) आरोपी है। जरा सोचिए, जब पूरी सुरक्षा एजेंसियां कश्मीर और यूपी में छापे मार रही थीं, तब यह शख्स दिल्ली में ही कहीं दुबक कर बैठा था। शायद वह शहर की भीड़ का फायदा उठाकर छिपने की कोशिश कर रहा था, लेकिन NIA की पैनी नजर से बच नहीं सका।
'डॉक्टरों वाला गैंग' और मौत की कसम
इस पूरे मामले में जो बात सबसे ज्यादा परेशान करने वाली है, वो है आरोपियों का बैकग्राउंड। ये कोई भटके हुए अनपढ़ युवक नहीं हैं। यासिन का कनेक्शन उस डॉ. उमर-उन-नबी से बताया जा रहा है, जिसने 10 नवंबर को खुद को कार बम से उड़ा लिया था (सुसाइड बॉम्बर)।
एक डॉक्टर, जिसका काम लोगों की जान बचाना होता है, वो जान ले रहा था और यासिन जैसे लोग उसका साथ दे रहे थे। NIA की रिपोर्ट्स के मुताबिक, यासिन सिर्फ मददगार नहीं था, बल्कि उसने भी 'फिदायीन' (आत्मघाती) हमले करने की कसम (Bayath) ले रखी थी। यानी अगर इसे वक्त रहते नहीं पकड़ा जाता, तो यह भी दिल्ली में किसी बड़ी अनहोनी को अंजाम दे सकता था।
'व्हाइट कॉलर टेररिज्म' का नया चेहरा
सुरक्षा एजेंसियां इसे 'व्हाइट कॉलर मॉड्यूल' कह रही हैं। यासिन, मुफ्ती इरफान और डॉ. उमर—ये सब पढ़े-लिखे लोग थे जो एक बहुत ही गहरी साजिश (Deep Conspiracy) का हिस्सा थे। यासिन लगातार इन मास्टमाइंड्स के संपर्क में था और हथियार जुटाने से लेकर फंड्स तक में मदद कर रहा था।
आगे क्या होगा?
यासिन की गिरफ्तारी से एजेंसियों को कई बड़े सुराग मिलने की उम्मीद है। दिल्ली कोर्ट ने उसे रिमांड पर भेज दिया है। पुलिस अब उससे यह उगलवाने की कोशिश कर रही है कि दिल्ली में उसके साथ और कौन-कौन छिपा हो सकता है। क्या कोई स्लीपर सेल (Sleeper Cell) अब भी एक्टिव है?
सावधान रहने की ज़रूरत
यह खबर हमें डराने के लिए नहीं, बल्कि सतर्क करने के लिए है। हमारे आस-पास कौन रह रहा है, कौन क्या कर रहा है, इस पर थोड़ा ध्यान देना अब जरूरी हो गया है। यासिन की गिरफ्तारी एक बड़ी राहत है, लेकिन यह याद दिलाती है कि खतरा कभी बता कर नहीं आता।
देश की सुरक्षा सिर्फ एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं, हमारी जागरूकता भी उतनी ही अहम है। फिलहाल, NIA को इस बड़ी कामयाबी के लिए सलाम, जिसने एक और साजिश को नाकाम कर दिया।
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