संसद में गूंजा 'शांति' और जी राम जी का शोर आखिर चल क्या रहा है इन अजीबोगरीब नामों के पीछे

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News India Live, Digital Desk: संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session) चल रहा है और वैसे तो वहां हमेशा गर्मागर्मी रहती है, लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है। इस बार बहस किसी घोटाले पर नहीं, बल्कि सरकार द्वारा बिलों (Bills) के रखे गए 'नामों' पर हो रही है।

मोदी सरकार संसद में दो नए बिल लेकर आई है'SHANTI' (शांति) और 'G-RAM G' (जी-राम जी)। नाम सुनकर आप भी सोच में पड़ गए होंगे कि ये कोई भजन-कीर्तन है या कोई सरकारी कानून? चलिए, आपको बिल्कुल आसान भाषा में बताते हैं कि पूरा माजरा क्या है और कांग्रेस के जयराम रमेश ने इस पर मज़े क्यों लिए।

1. 'SHANTI' बिल: नाम शांति, काम प्राइवेट?
सरकार परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) के लिए एक नया बिल लाई है। इन्होंने इसका नाम रखा है: Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India। इसी का शॉर्ट फॉर्म बनता है—SHANTI

अब नाम में तो 'शांति' है, लेकिन संसद में इसने 'अशांति' फैला दी है।
पॉइंट की बात: दरअसल, यह बिल पास होने के बाद न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों (निजी क्षेत्र) की एंट्री हो जाएगी। अब तक एटम बम या न्यूक्लियर पावर सिर्फ सरकार के कंट्रोल में था। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तंज कसते हुए कहा, "2010 में जब हम ऐसा कुछ लाना चाहते थे, तब आप (बीजेपी) 'राष्ट्रवाद' का वास्ता देकर विरोध कर रहे थे। आज वही चीज़ 'शांति' कैसे बन गई?" इसे उन्होंने सरकार का यू-टर्न बताया।

2. मनरेगा अब बना 'G-RAM G': बापू कहाँ गए?
दूसरा बवाल खड़ा हुआ है गाँव के मज़दूरों की लाइफलाइन मानी जाने वाली योजना मनरेगा (MGNREGA) को लेकर। सरकार रोजगार की गारंटी के लिए जो नया बिल लाई है, उसका नाम रखा है—Viksit Bharat Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission for Gramin। इसका शॉर्ट फॉर्म बनता है—VB-G-RAM-G

सुनने में यह 'जी-राम जी' जैसा लगता है।
विवाद क्या है? सबसे बड़ी बात यह है कि पुराने नाम (MNREGA) में 'महात्मा गांधी' का नाम जुड़ा था। विपक्ष का आरोप है कि नए नाम से चतुराई से गांधी जी को गायब कर दिया गया है और 'विकसित भारत' का टैग लगा दिया गया है। जयराम रमेश ने चुटकी लेते हुए कहा, "महात्मा गांधी अब अतीत हो गए, अब 'जी-राम' का जमाना है।"

"नाम बड़े और दर्शन छोटे?"
जयराम रमेश, जो अपनी हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने सरकार की क्लास लगा दी। उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि इस सरकार का पूरा फोकस सिर्फ प्यारे-प्यारे एक्रोनिम (Short forms) बनाने पर है। पहले नाम सोचा जाता है जिससे हेडलाइन बने, फिर बाद में उसमें पॉलिसी भरी जाती है।" उन्होंने इसे "पोक्रॉनिम" (Pokronyms) का नाम दिया।

आम जनता (आपके) लिए क्या मतलब है?
सियासत अपनी जगह, लेकिन हमें ये समझना होगा कि इन बिलों का हम पर क्या असर होगा:

  1. बिजली का मुद्दा: अगर 'SHANTI' बिल से न्यूक्लियर बिजली बनती है, तो हो सकता है आने वाले सालों में हमें क्लीन एनर्जी मिले, लेकिन प्राइवेट कंपनियों की सुरक्षा पर सवाल तो रहेगा।
  2. रोजगार: नाम चाहे 'जी-राम' हो या मनरेगा, गाँव के गरीब को मतलब इससे है कि उसे 100 दिन का काम मिलेगा या नहीं और पैसा टाइम पर आएगा या नहीं।

फिलहाल संसद में तो 'हे राम' और 'जी-राम' चल रहा है। आपको क्या लगता है? क्या योजनाओं के नाम बदलने से देश की तकदीर बदलती है? अपनी राय जरूर सोचिएगा!

 

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