भरे मंच पर महिला डॉक्टर का नकाब हटाना पड़ा भारी ,ग्रैंड मुफ्ती बोले नीतीश बाबू, यह धर्म और शर्म दोनों का खून है
News India Live, Digital Desk : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आजकल अपनी अजीबोगरीब हरकतों की वजह से सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार मामला हंसी-मज़ाक से आगे बढ़कर सीधे 'अपमान' और 'धार्मिक भावनाओं' तक पहुँच गया है। पटना के एक कार्यक्रम में जिस तरह उन्होंने सरेआम एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब (नकाब) हटाने की कोशिश की, उसने पूरे देश को चौंका दिया।
अब इस मामले में जम्मू-कश्मीर से एक बहुत ही तीखी आवाज़ उठी है। वहां के सबसे बड़े धार्मिक गुरु, ग्रैंड मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम ने इस घटना पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे पूरे मुस्लिम समाज की तौहीन बताया है।
ग्रैंड मुफ्ती ने क्या कहा?
वीडियो वायरल होने के बाद ग्रैंड मुफ्ती का गुस्सा सातवें आसमान पर है। उन्होंने साफ़ लफ़्ज़ों में कहा कि यह हरकत किसी एक महिला के साथ नहीं, बल्कि भारत के 22 करोड़ मुसलमानों के साथ बदसलूकी है। उन्होंने नीतीश कुमार को याद दिलाया कि हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहाँ संविधान सबको अपने धर्म और परंपरा के हिसाब से जीने की आज़ादी देता है।
मुफ्ती साहब ने कहा, "एक मुख्यमंत्री का पद बहुत जिम्मेदार होता है। अगर वही भरी सभा में किसी महिला की निजता (Privacy) और धार्मिक पहचान के साथ खिलवाड़ करेंगे, तो आम जनता क्या सीखेगी? यह संविधान और मर्यादा, दोनों का घोर उल्लंघन है।"
क्या थी वो घटना? (मामला समझिए)
दरअसल, पटना में स्वास्थ्य विभाग का एक कार्यक्रम चल रहा था। एक मुस्लिम लेडी डॉक्टर स्टेज पर अपना जॉब लेटर लेने आईं। उन्होंने चेहरे पर नकाब पहना हुआ था। नीतीश कुमार ने उन्हें टोकते हुए इशारा किया और कथित तौर पर उनका नकाब हटाने/खींचने की कोशिश की। वहां मौजूद कुछ लोग इसे हंसी में उड़ा ले गए, लेकिन जैसे ही यह क्लिप सोशल मीडिया पर आई, लोग सवाल पूछने लगे कि किसी के पहनावे को उतरवाना किस तरह का 'सुशासन' है?
"धर्म में दखल देना बंद करें"
ग्रैंड मुफ्ती ने अपने बयान में एक बहुत पते की बात कही। उन्होंने कहा कि "हिजाब या नकाब मुस्लिम महिलाओं की पहचान और उनकी इज़्ज़त का हिस्सा है। किसी भी नेता को, चाहे वो कितना भी बड़ा क्यों न हो, हमारे मजहबी मामलों में टांग अड़ाने का हक़ नहीं है।" उन्होंने इसे "बेशर्मी की हद" बताया और कहा कि ऐसे बर्ताव को कभी माफ नहीं किया जा सकता।
सियासी गलियारों में हड़कंप
सिर्फ धर्मगुरु ही नहीं, सियासी गलियारों में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है। महबूबा मुफ्ती और इल्तिजा मुफ्ती जैसे नेताओं ने भी इसे "असली चेहरा बेनकाब होना" बताया है। लोग हैरान हैं कि जो नीतीश कुमार कभी धर्मनिरपेक्षता (Secularism) की बातें करते थे, आज वो ऐसी हरकतें कर रहे हैं जो किसी को भी असहज (Uncomfortable) कर दें।
सोचने वाली बात
अंत में सवाल हम सब के लिए है क्या सार्वजनिक मंच पर किसी महिला के कपड़ों या नकाब को लेकर ऐसी टोक-टाक करना एक सभ्य समाज की निशानी है? ग्रैंड मुफ्ती का गुस्सा शायद इसी बात का आईना दिखा रहा है कि इज़्ज़त देने के लिए कपड़े उतारना नहीं, बल्कि किसी की पसंद का सम्मान करना ज़रूरी होता है।
आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या नीतीश कुमार की यह हरकत जायज़ थी?
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