इतिहास बन गया जब पंजाब से चली अन्नपूर्णा एक्सप्रेस सीधे कश्मीर के गोदाम तक पहुंची

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News India Live, Digital Desk: अगर आप कभी सर्दियों में जम्मू से श्रीनगर गए हैं, तो आपको पता होगा कि वह रास्ता कितना जानलेवा और अनिश्चितताओं से भरा होता है। कभी लैंडस्लाइड तो कभी भारी बर्फबारी... अक्सर हजारों ट्रक हफ्तों तक रामबन और बनिहाल के बीच फँसे रहते हैं। और जब ट्रक फंसते हैं, तो घाटी में दूध, सब्जी और राशन के दाम आसमान छूने लगते हैं। लेकिन दोस्तों, अब यह तस्वीर हमेशा के लिए बदलने वाली है!

बीते रविवार को एक ऐसी घटना हुई है जिसने कश्मीर की 'लाइफलाइन' को एक नई दिशा दे दी है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) की अनाज से लदी एक पूरी की पूरी मालगाड़ी पंजाब के फिरोजपुर से चलकर, सारे पहाड़ों को चीरती हुई सीधे अनंतनाग रेलवे स्टेशन जा पहुंची।

यह सिर्फ एक ट्रेन नहीं, सर्दियों का 'सुरक्षा कवच' है
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इससे पहले घाटी में सारा सरकारी राशन ट्रकों के जरिए ही पहुँचता था। लेकिन अब जो मालगाड़ी अनंतनाग पहुंची है, वह अपने साथ लगभग 1,384 टन चावल लेकर गई है। यह चावल पंजाब के मोगा (अजीतवाल) से लोड किया गया था।

सोचिए, पहले इस राशन को पहुंचाने के लिए लगभग 70-80 बड़े ट्रकों की जरूरत पड़ती। वे ट्रक डीजल फूंकते, जाम में फंसते और प्रदूषण फैलाते। लेकिन ट्रेन ने यह काम चुटकियों में, बिना रुके और बिना किसी मौसम की परवाह किए कर दिया। यह घाटी के उन लाखों परिवारों के लिए सुकून की बात है जो हर सर्दी में इस डर में रहते थे कि "अगर रास्ता बंद हुआ तो खाना कैसे आएगा?"

कश्मीर के किसानों और व्यापारियों को भी होगा फायदा
सिर्फ राशन आने की बात नहीं है, बात जाने की भी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब यह मालगाड़ियां वापस आएंगी, तो खाली नहीं आएंगी। इनमें कश्मीर का मशहूर सेब, केसर और ड्राई फ्रूट्स भरकर देश के बाकी कोनों तक भेजा जा सकेगा। जो सेब दिल्ली पहुँचने में ट्रक से 3-4 दिन लेता था, वह अब और भी जल्दी और ताज़ा मंडी तक पहुंचेगा। ट्रांसपोर्ट का खर्चा बचेगा सो अलग!

रेलवे का कमाल और भविष्य का इशारा
अनंतनाग स्टेशन पर जब यह ट्रेन रुकी, तो वहां मौजूद अधिकारियों के चेहरों पर एक अलग ही चमक थी। यह इस बात का सबूत है कि भारतीय रेलवे का कश्मीर में नेटवर्क अब पूरी तरह 'ऑपरेशनल' मोड में आ रहा है। यह घटना सिर्फ FCI के लिए ही नहीं, बल्कि आम कश्मीरी अवाम के लिए एक भरोसे का पैगाम है कि अब दिल्ली हो या पंजाब, दूरी बस एक ट्रेन की है।

अगली बार जब आप कश्मीरी पुलाव खाएं, तो याद रखिएगा, हो सकता है कि वह चावल अब किसी थके हुए ट्रक से नहीं, बल्कि सरपट दौड़ती ट्रेन से वादियों तक पहुँचा हो! बदलाव की यह सीटी वाकई बहुत सुरीली है।

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