बांग्लादेश में उथल-पुथल, खलनायक तारिक़ रहमान क्यों है भारत के लिए एक सीक्रेट संजीवनी?

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News India Live, Digital Desk: क्या हो अगर किसी विवादित और अपराधी छवि वाले नेता की वापसी आपके पड़ोसी देश के लिए फायदेमंद साबित हो जाए? सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन बांग्लादेश के राजनीतिक गलियारों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक़ रहमान की राजनीति में सक्रिय भूमिका भारत के लिए अप्रत्यक्ष रूप से अच्छी खबर ला सकती है. 'डार्क प्रिंस' कहे जाने वाले तारिक़ रहमान पर भ्रष्टाचार, आतंकवाद को बढ़ावा देने और यहां तक कि हत्या के प्रयास जैसे कई संगीन आरोप लगे हैं, और वो फिलहाल लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं.

कौन हैं तारिक़ रहमान और क्यों हैं इतने विवादास्पद?

तारिक़ रहमान, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया के बेटे हैं और बीएनपी के प्रमुख चेहरा हैं. उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत से ही विवादों का साया रहा है. 2004 में, उन्होंने आवामी लीग की एक रैली पर ग्रेनेड हमले की कथित साजिश रची थी, जिसमें मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना बाल-बाल बची थीं और कई लोगों की जान गई थी. भ्रष्टाचार के आरोप और देशद्रोही गतिविधियों में शामिल होने के चलते बांग्लादेश की अदालतें उन्हें कई मामलों में सज़ा सुना चुकी हैं. इन्हीं सब कारणों से वो 'डार्क प्रिंस' के नाम से भी जाने जाते हैं.

भारत और बांग्लादेश का जटिल रिश्ता

भारत के लिए बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिरता और सत्ता में एक ऐसा दल का होना बहुत ज़रूरी है, जो उसके हितों का ख्याल रखे. फिलहाल, शेख हसीना के नेतृत्व वाली आवामी लीग की सरकार भारत की दोस्त मानी जाती है. हसीना सरकार ने पूर्वोत्तर भारत के विद्रोहियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, जिससे भारत की सीमा सुरक्षा मजबूत हुई है.

हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आवामी लीग पर चुनाव प्रक्रिया को लेकर कुछ दबाव है, और अमेरिका जैसे देश बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की वकालत कर रहे हैं. इस परिदृश्य में, अमेरिका बीएनपी को आवामी लीग के एक मज़बूत विकल्प के तौर पर देख सकता है.

तारिक़ रहमान की वापसी और भारत का हित: एक विरोधाभास

अब बात करते हैं उस विरोधाभास की कि आखिर तारिक़ रहमान जैसे विवादास्पद नेता का उभरना भारत के लिए कैसे 'अच्छी खबर' हो सकता है:

  1. जनता में घटती लोकप्रियता: तारिक़ रहमान की नकारात्मक छवि बांग्लादेश की एक बड़ी आबादी के बीच बिल्कुल भी पसंद नहीं की जाती. भ्रष्टाचार और हिंसा से जुड़े उनके अतीत ने उन्हें देश के पढ़े-लिखे, धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील समाज में काफी unpopular बना दिया है.
  2. बीएनपी के लिए चुनौती: यदि तारिक़ रहमान सक्रिय रूप से बीएनपी की बागडोर संभालते हैं, तो उनकी पार्टी के लिए आम मतदाताओं के बीच विश्वास जगाना बेहद मुश्किल होगा. भले ही बीएनपी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर खुद को लोकतंत्र का एक विश्वसनीय विकल्प पेश करने की कोशिश करे, लेकिन तारिक़ की छाया इसे धुंधला कर देगी.
  3. हसीना सरकार को लाभ: तारिक़ रहमान की वजह से बीएनपी की छवि धूमिल होने पर, वो मतदाता जो शायद आवामी लीग के खिलाफ होंगे, उनके लिए कोई स्पष्ट विकल्प नहीं बचता. ऐसे में वे शायद ही ऐसे दल को चुनें जिसका मुखिया इतना विवादों में घिरा हो. यह स्थिति अप्रत्यक्ष रूप से शेख हसीना की आवामी लीग को फायदा पहुंचा सकती है.

संक्षेप में, भले ही तारिक़ रहमान भारत के लिए सीधे तौर पर एक दुश्मन जैसे दिखते हों, लेकिन उनकी राजनीतिक अलोकप्रियता बीएनपी के चुनाव जीतने की संभावनाओं को कमजोर कर सकती है. और अगर ऐसा होता है, तो शेख हसीना सरकार के सत्ता में बने रहने की संभावना बढ़ जाती है, जो भारत के रणनीतिक और सुरक्षा हितों के लिए अधिक अनुकूल है. ऐसे में, 'काला राजकुमार' तारिक़ रहमान, अनजाने में भारत के लिए एक अजीब सी उम्मीद बन जाते हैं.

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