CWC बैठक में मनरेगा का मुद्दा क्यों उछालना चाहती है कांग्रेस? समझें पूरी कहानी

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News India Live, Digital Desk : हाल ही में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक हुई, जिसमें एक बार फिर मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) का मुद्दा जोर-शोर से उठा. दरअसल, कांग्रेस चाहती है कि इस कार्यक्रम को लेकर लगातार बातचीत होती रहे, इस पर बहस जारी रहे. सवाल ये है कि ऐसा क्यों? आखिर कांग्रेस पार्टी इस योजना को हमेशा चर्चा में क्यों रखना चाहती है और इसमें उनके लिए क्या सियासी फायदे छिपे हैं? आइए, समझते हैं पूरी बात.

मनरेगा: कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी जैसा

आपको याद होगा कि मनरेगा योजना यूपीए सरकार के दौरान शुरू हुई थी. उस वक्त ये गेम चेंजर साबित हुई, खासकर ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार दिलाने में. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में इसकी अहम भूमिका रही है. कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि यह उनकी सरकार की एक बेहद सफल योजना थी, जिसने देश के करोड़ों गरीब और मजदूरों को सीधा फायदा पहुंचाया. यही वजह है कि कांग्रेस इसे अपनी विरासत और एक तरह की संजीवनी बूटी मानती है, जिसे वे किसी भी हाल में कमजोर नहीं पड़ने देना चाहते.

सिर्फ मनरेगा नहीं, यूपीए की पूरी 'सोच' पर फोकस

कांग्रेस अब सिर्फ मनरेगा ही नहीं, बल्कि यूपीए सरकार के दौर में लाई गई ऐसी सभी योजनाओं और नीतियों को दोबारा चर्चा में लाना चाहती है, जिनकी मदद से लोगों के जीवन में सुधार आया था. वे जनता को यह दिखाना चाहते हैं कि यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियां और उसकी 'सामाजिक सुरक्षा' की सोच कितनी जन-केंद्रित थी. मनरेगा तो बस इसकी एक बानगी है. चाहे वो आरटीआई (सूचना का अधिकार) हो या भोजन का अधिकार, कांग्रेस चाहती है कि इन सब पर बहस चलती रहे. उनका मानना है कि वर्तमान सरकार इन योजनाओं की आत्मा को कमजोर कर रही है.

विरोध और राजनीति का खेल

जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, कांग्रेस लगातार मनरेगा पर कथित 'हमले' को लेकर सरकार को घेरती रही है. कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार जानबूझकर मनरेगा का बजट घटा रही है, उसमें बाधाएं पैदा कर रही है, जिसके चलते लाखों मजदूरों को काम नहीं मिल रहा या समय पर मजदूरी नहीं मिल रही. कांग्रेस कहती है कि मोदी सरकार की नीतियां कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाली हैं, जबकि यूपीए की नीतियां आम आदमी के लिए थीं.

अगले चुनावों को देखते हुए कांग्रेस के लिए मनरेगा एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन गया है. इसके जरिए वे सरकार पर ग्रामीण रोजगार छीनने, मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करने और अर्थव्यवस्था को अनदेखा करने का आरोप लगाती है. साथ ही, अपनी पार्टी को आम लोगों का सच्चा हितैषी और गरीबों का मसीहा साबित करना चाहती है. उनका मानना है कि जब-जब मनरेगा की बात होगी, तब-तब यूपीए के सुनहरे दिन याद किए जाएंगे, जिससे उन्हें राजनीतिक फायदा मिलेगा.

यही वजह है कि CWC बैठक हो या कोई चुनावी सभा, मनरेगा का मुद्दा हमेशा कांग्रेस के एजेंडे में सबसे ऊपर रहता है. यह उनकी कोशिश है कि इस महत्वपूर्ण योजना को लोग भूल न जाएं और वर्तमान सरकार को इसके लिए जवाबदेह ठहराया जा सके.

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