भारत की भू-राजनीतिक नींद क्यों उड़ी? अमेरिकी रिपोर्ट में चीन के इस कदम ने बढ़ाई टेंशन, जानें पूरी रणनीति

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News India Live, Digital Desk : अक्सर कहा जाता है कि पड़ोसी से दोस्ती अच्छी होती है, लेकिन अगर पड़ोसी की नीयत ठीक न हो तो चिंता बढ़ जाती है. ऐसा ही कुछ हो रहा है हमारे पड़ोसी चीन को लेकर! अमेरिका के रक्षा विभाग (पेंटागन) ने एक बेहद गंभीर रिपोर्ट जारी की है, जिसने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं. इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन हमारे पड़ोस के देशों - बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार - में अपने सैन्य ठिकाने या लॉजिस्टिक्स फैसिलिटीज़ बनाने की फिराक में है. यह सिर्फ एक छोटा सा कदम नहीं, बल्कि विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत को घेरने की चीन की 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' (मोतियों की माला) रणनीति का ही एक हिस्सा है! [SEO Keywords: भारत-चीन संबंध, अमेरिका रिपोर्ट चीन, पेंटागन रिपोर्ट, सैन्य विस्तार चीन, हिंद महासागर नीति]

क्या कहती है अमेरिकी रिपोर्ट?

पेंटागन की हालिया वार्षिक रिपोर्ट जिसका नाम है "मिलिट्री एंड सिक्योरिटी डेवलपमेंट्स इंवाल्विंग द पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना" (यानी सैन्य और सुरक्षा विकास जिसमें चीन जनवादी गणराज्य शामिल है) में यह साफ-साफ कहा गया है कि चीन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लिए विदेशी सैन्य सुविधाओं को लगातार बढ़ाने की संभावना तलाश रहा है. इस रिपोर्ट में विशेष रूप से भारत के पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार में चीन की सैन्य या लॉजिस्टिक्स उपस्थिति की संभावना का ज़िक्र किया गया है. पाकिस्तान को भी इस श्रेणी में रखा गया है, हालांकि चीन के साथ उसके गहरे रणनीतिक संबंधों के चलते उसे थोड़ा अलग माना जाता है.

क्यों है भारत के लिए यह चिंता का विषय?

भारत हिंद महासागर को अपने रणनीतिक प्रभाव का क्षेत्र मानता है और ऐसे में पड़ोसी देशों में चीन की सैन्य मौजूदगी या यहां तक कि लॉजिस्टिक बेस भी भारत के लिए नई सुरक्षा चुनौतियाँ खड़ी कर सकते हैं. यह चीन को मलक्का स्ट्रेट और बंगाल की खाड़ी जैसे महत्वपूर्ण समुद्री रास्तों के पास अपनी सैन्य ताकत दिखाने का मौका देगा. विशेषज्ञ बताते हैं कि चीन का यह कदम सिर्फ अपनी समुद्री ताकत बढ़ाना नहीं, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के प्रभाव को कम करना भी हो सकता है. 

  • समुद्री मार्गों पर दबदबा: चीन का उद्देश्य प्रमुख समुद्री संचार लाइनों (सी लाइंस ऑफ कम्युनिकेशन) जैसे मलक्का स्ट्रेट तक अपनी सैन्य पहुंच बनाना है. चीन मलक्का स्ट्रेट को अपना सबसे बड़ा 'चोक पॉइंट' मानता है, जहाँ अमेरिकी और भारतीय नौसेना उसे घेर सकती हैं.
  • सैन्य सहायता: रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चीन अपने इन पड़ोसी देशों, खासकर पाकिस्तान को भारी मात्रा में उन्नत सैन्य उपकरण और लड़ाकू विमान (जैसे J-10C फाइटर जेट) और पनडुब्बियां मुहैया करा रहा है. बांग्लादेश को भी हाल के वर्षों में पनडुब्बियां और युद्धपोत मिले हैं, जिससे इन देशों की नौसेना क्षमता में इजाफा हुआ है. 

इस तरह की गतिविधियाँ संकेत देती हैं कि चीन अपनी 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) के तहत बुनियादी ढाँचे और आर्थिक संबंधों के साथ-साथ अब सैन्य पहुंच और उपस्थिति को लेकर भी अधिक खुलकर काम कर रहा है. ऐसे किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए भारत भी अपनी सुरक्षा तैयारियों, खासकर नौसेना क्षमताओं और निगरानी प्रणालियों को लगातार मजबूत कर रहा है. 

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