Political Controversy : सोनिया गांधी की वजह से मना रहे क्रिसमस रेवंत रेड्डी ने ये क्या कह दिया

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News India Live, Digital Desk: हमारे देश की राजनीति भी न, कभी-कभी एकदम गजब ही हो जाती है। मतलब, नेता जी कब क्या बोल दें और किस बात का क्रेडिट किसे दे दें, कोई नहीं बता सकता। अब ताज़ा मामला तेलंगाना से आया है, जहां क्रिसमस की खुशियों के बीच बयानों का एक ऐसा बम फूटा है कि वहां सर्दी में भी सियासी गर्मी बढ़ गई है।

हुआ ये कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी (CM Revanth Reddy) हैदराबाद के एलबी स्टेडियम (LB Stadium) में आयोजित एक भव्य क्रिसमस कार्यक्रम में पहुंचे थे वहां माहौल एकदम सेट था, क्रिसमस कैरोल्स गाए जा रहे थे, लोग खुश थे। CM साहब माइक पर आए, लेकिन जोश-जोश में कुछ ऐसा बोल गए कि बीजेपी (BJP) और सोशल मीडिया को एक नया मुद्दा मिल गया।

आखिर 'क्रेडिट' किस बात का?

रेवंत रेड्डी ने अपनी स्पीच में दिसंबर महीने को एक 'मिरेकल मंथ' (Miracle Month) यानी चमत्कारों का महीना बता दिया।भाई, तर्क भी सुनिए! उनका कहना था कि दिसंबर इसलिए खास है क्योंकि इस महीने में प्रभु यीशु का जन्म हुआ, इसी महीने में सोनिया गांधी (9 दिसंबर) का जन्मदिन आता है और इसी महीने में तेलंगाना राज्य बनने की घोषणा हुई थी।

यहां तक तो सब फिर भी ठीक था। लेकिन पेंच तब फंसा जब उन्होंने कुछ ऐसा कहा जिसका मतलब निकाला जा रहा है कि—"आज हम तेलंगाना में जो क्रिसमस मना पा रहे हैं, वो सोनिया गांधी की ही देन है। रेड्डी साहब शायद यह कहना चाह रहे थे कि सोनिया गांधी ने तेलंगाना अलग राज्य बनाया, इसलिए आज हम यहां अपनी सरकार के साथ खुशियां मना रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि "त्याग" के मामले में सोनिया गांधी एक मिसाल हैं, बिल्कुल वैसे ही जैसे ईसाई धर्म सेवा और त्याग की बात करता है।

अब आप ही बताइए, भगवान के त्योहार का क्रेडिट किसी नेता को देना... थोड़ा ज्यादा हो गया न?

बीजेपी बोली- ‘ये तो अपमान है!’

बस फिर क्या था! जैसे ही यह वीडियो क्लिप वायरल हुई, बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस को घेर लिया।बीजेपी का कहना है कि यह ईसाई समुदाय (Christians) का अपमान है। बीजेपी नेताओं ने पूछा, "क्या सोनिया गांधी के जन्म से पहले या 2014 से पहले दुनिया क्रिसमस नहीं मनाती थी? क्या प्रभु यीशु के जन्म का क्रेडिट भी अब कांग्रेस पार्टी लेगी?"

विपक्ष इसे सीधे तौर पर 'चापलूसी' (Sycophancy) कह रहा है। उनका मानना है कि भक्ति पार्टी की होनी चाहिए, लेकिन धर्म और आस्था के मंच पर नेताओं का इतना महिमामंडन करना लोगों को रास नहीं आ रहा। बीजेपी के स्पोक्सपर्सन्स सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि कांग्रेस हर चीज़ का क्रेडिट 'गांधी परिवार' को देने की फिराक में रहती है, चाहे वो आज़ादी हो या फिर अब... क्रिसमस!

कहानी का दूसरा पहलू

असल में, तेलंगाना कांग्रेस के लिए सोनिया गांधी 'तेलंगाना की मां' (Telangana Talli) जैसी हैं।[7] रेवंत रेड्डी अपनी वफादारी दिखा रहे थे। शायद उनकी मंशा ईसाई समुदाय का अपमान करने की नहीं थी, बल्कि वे अपने 'बॉस' को खुश कर रहे थे। लेकिन राजनीति में नीयत से ज्यादा नपे-तुले शब्दों की कीमत होती है, जो इस बार चूक गए।

अब एलबी स्टेडियम में केक कटा हो या न हो, लेकिन सोशल मीडिया पर तर्कों की छुरी-कांटे जरूर चल रहे हैं। आम जनता भी सोच रही है कि भाई त्योहार तो सबके हैं—इसे तो बख्श देते! खैर, अब देखना यह है कि क्रिसमस आते-आते यह विवाद ठंडा पड़ता है या और तूल पकड़ता है।

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