बांग्लादेश में दो बेगमों की लड़ाई जब व्यक्तिगत त्रासदी बन गई सियासी अदावत की आग

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News India Live, Digital Desk : बांग्लादेश की राजनीति को अगर करीब से देखें, तो वहाँ पिछले कई दशकों से दो ताकतवर महिलाओं की कटु प्रतिद्वंद्विता छाई हुई है: एक हैं वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना, और दूसरी हैं पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया. इनकी यह लंबी और तीखी दुश्मनी, जिसे 'दो बेगमों की लड़ाई' के नाम से भी जाना जाता है, सिर्फ कुर्सी और सत्ता का खेल नहीं, बल्कि उनकी निजी जिंदगी की दर्दनाक घटनाओं से भी जुड़ी हुई है. इस अदावत ने न सिर्फ दोनों परिवारों को गहरी चोट पहुँचाई, बल्कि इसने बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिरता पर भी बुरा असर डाला है.

कहां से हुई शुरुआत: त्रासदी की गहरी जड़ें

इस सियासी जंग की शुरुआत दोनों नेताओं के परिवारों में हुए वीभत्स हत्याकांडों से होती है.

  • शेख हसीना का दर्द: बांग्लादेश के संस्थापक पिता कहे जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान की बेटी शेख हसीना का जीवन 1975 में उस वक्त तबाह हो गया, जब एक सैन्य तख्तापलट के दौरान उनके पिता, मां और उनके तीन भाइयों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. इस खूनी घटना ने हसीना को जीवनभर के लिए गहरी टीस दे दी.
  • खालिदा ज़िया का दर्द: ठीक इसी तरह, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया के पति और तत्कालीन सैन्य शासक जियाउर रहमान की हत्या 1981 में एक तख्तापलट की कोशिश के दौरान कर दी गई थी.

इन दोनों त्रासदियों ने दोनों महिलाओं के दिलों में कभी न मिटने वाला घाव दिया और यही से इनकी राजनीतिक और व्यक्तिगत दुश्मनी ने जन्म लिया.

आरोपों और पलटवार का सिलसिला

शेख हसीना बांग्लादेश अवामी लीग की प्रमुख हैं, जबकि खालिदा ज़िया बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का नेतृत्व करती हैं. इन दोनों नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला दशकों से चला आ रहा है:

  • शेख हसीना सार्वजनिक मंचों पर बार-बार यह आरोप लगाती रही हैं कि उनके पिता की हत्या में जियाउर रहमान की भूमिका थी या कम से कम उन्हें इसका लाभ ज़रूर मिला.
  • वहीं, खालिदा ज़िया पलटवार करते हुए कहती हैं कि हसीना अपने पिता की हत्या को सियासी फायदे के लिए भुनाती हैं.

यह व्यक्तिगत दुश्मनी राजनीतिक रूप से इस कदर हावी हो गई है कि जब कोई एक नेता प्रधानमंत्री बनता है, तो दूसरा दल सरकार गिराने और सड़क पर आंदोलन करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देता है. बांग्लादेश के लोगों को इस अदावत की भारी कीमत चुकानी पड़ी है, क्योंकि राजनीतिक अस्थिरता, प्रदर्शन और कभी-कभी हिंसा ने देश के विकास को बाधित किया है.

संक्षेप में, बांग्लादेश में शेख हसीना और खालिदा ज़िया के बीच की 'दो बेगमों की लड़ाई' केवल राजनीतिक विचारधाराओं का टकराव नहीं, बल्कि दो शक्तिशाली परिवारों के व्यक्तिगत घावों और त्रासदी की उपज है, जिसने बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य को दशकों तक प्रभावित किया है.

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