अब भारत किसी को छेड़ने पर छोड़ता नहीं! – संजय सेठ, रक्षा राज्य मंत्री

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नई दिल्ली – भारत भूमि छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होळकर और रानी लक्ष्मीबाई जैसे वीरों की तथा विश्व कल्याण की भावना रखने वाली सनातनी संस्कृति की भूमि है। दुर्भाग्य से पिछले 60–65 वर्षों में हमें अकबर और बाबर जैसे आक्रमणकारियों को “महान” कहकर गुलामी की मानसिकता में बांध दिया गया था। अब वह मानसिक बेड़ियां पूरी तरह टूट रही हैं। आज भारत नया और जाग्रत है, जो किसी के भी आगे नहीं झुकता। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में हमारे सैनिकों ने शौर्य दिखाया है । उसने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अब किसी को छेड़ने पर छोड़ता नहीं। यह प्रतिपादन केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने किया। वे नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय सुरक्षा में सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं का योगदान’ विषय पर बोल रहे थे।

श्रीराम मंदिर के लिए न्यायालयीन संघर्ष स्वयं श्रीराम की अनुभूति था! – अधिवक्ता श्रीधर पोतराजू

     सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीधर पोतराजू ने कहा, “श्रीराम मंदिर के लिए हिंदुओं द्वारा न्यायालय के बाहर लड़ा गया संघर्ष अनुपम था, परंतु हमने अधिवक्ताओं के रूप में न्यायालय में जो लड़ाई लड़ी, वह स्वयं श्रीराम द्वारा दी गई अनुभूति थी। उनकी कृपा से ही 92 वर्ष की आयु में वरिष्ठ अधिवक्ता केशव परासरण ने पूरा जोश दिखाकर यह लड़ा। उनमें वह अटल श्रद्धा श्रीराम ने ही उत्पन्न की थी।”

चिक्कमंगलुरु (कर्नाटक) के दत्तपीठ में होने वाली नमाज़पाठ शीघ्र ही बंद होगी! – प्रमोद मुतालिक

    ‘मंदिर संरक्षण’ विषयक परिसंवाद में श्रीराम सेना के संस्थापक श्री प्रमोद मुतालिक ने कहा, “कर्नाटक के चिक्कमंगलुरु से 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित दत्तपीठ वह स्थान है जहां श्री गुरु दत्तात्रेय ने साधना की थी, किंतु टीपू सुल्तान ने वहां बाबा बुडन दरगाह स्थापित की। समय के साथ वह क्षेत्र मज़ारों और दरगाहों के कारण इस्लामीकरण का केंद्र बन गया; किंतु विगत 30 वर्षों से विश्व हिंदू परिषद, श्रीराम सेना और अन्य हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के आंदोलन और न्यायालयीन संघर्ष के कारण अब 90 प्रतिशत परिसर दत्तभक्तों का हो गया है। अभी केवल शुक्रवार को मौलवी नमाज़ पढ़ाने आते हैं, जो शीघ्र ही न्यायालय के आदेश से बंद होगा।”

मंदिर संस्कृति की रक्षा के लिए हिंदुओं को एकजुट होना चाहिए! – सुनील घनवट

 “मंदिर हिंदू धर्म की आधारशिला हैं। उनके परंपरा एवं मर्यादाओं की रक्षा हेतु ‘मंदिर महासंघ’ ने 15,000 मंदिरों का संगठन किया है। इनमें से 2,300 से अधिक मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू की गई है। अब इसका प्रभाव न केवल भारत में बल्कि ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी दिखाई देता है। मंदिर धर्मशिक्षा के केंद्र बनें, इस उद्देश्य से हर सप्ताह 20,000 हिंदू आरती के लिए एकत्र होते हैं। अतः उनका संरक्षण हमारा धर्म दायित्व है,” ऐसा प्रतिपादन हिंदू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ राज्य संगठक एवं मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संगठक श्री सुनील घनवट ने किया। इस सत्र का संचालन राष्ट्र प्रथम चैनेल की पत्रकार श्रीमती श्वेता त्रिपाठी ने किया।

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