साउथ अमेरिका में गूंजा Right Wing का शोर चिली को मिला अपना ट्रम्प, जानिए कौन हैं जोस एंटोनियो कस्ट?

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News India Live, Digital Desk : लैटिन अमेरिका की राजनीति में आज एक बहुत बड़ा भूचाल आया है। चिली (Chile), जो अब तक वामपंथी विचारधारा (Leftist Ideology) की राह पर चल रहा था, उसने अचानक यू-टर्न ले लिया है। देश के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ गए हैं और इन नतीजों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। चिली के लोगों ने अपना नया राष्ट्रपति चुन लिया है और ये नाम है जोस एंटोनियो कस्ट (Jose Antonio Kast)

अगर आप अंतरराष्ट्रीय राजनीति में थोड़ी भी दिलचस्पी रखते हैं, तो कस्ट की जीत सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि एक बड़ा इशारा है। लेकिन आखिर ये हैं कौन और इनकी चर्चा "साउथ अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप" के रूप में क्यों हो रही है? आइए, आसान भाषा में समझते हैं।

'चिली का डोनाल्ड ट्रंप': क्यों लग रहा है यह ठप्पा?

जैसे ही जोस एंटोनियो कस्ट की जीत की खबर आई, हेडलाइन्स में उनका नाम अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ जोड़कर देखा जाने लगा। और इसके पीछे वजह भी है। कस्ट खुद भी डोनाल्ड ट्रंप के बहुत बड़े प्रशंसक (Admirer) माने जाते हैं।

  • सोच और एजेंडा: कस्ट की राजनीति पूरी तरह से दक्षिणपंथी (Right-Wing) और रूढ़िवादी (Conservative) मूल्यों पर टिकी है। वे खुले तौर पर गर्भपात (Abortion) का विरोध करते हैं, कानून और व्यवस्था (Law & Order) को लेकर सख्त रवैया अपनाते हैं और 'राष्ट्रवाद' उनकी बातों में कूट-कूट कर भरा है।
  • फ्री मार्केट: कस्ट मुक्त बाजार (Free Market) अर्थव्यवस्था के समर्थक हैं और समाजवाद के कट्टर विरोधी। उनका मानना है कि सरकार का काम बिज़नेस में दखल देना नहीं, बल्कि उसे आसान बनाना है।

चुनाव में कैसे पलटा पासा?

यह जीत इसलिए भी चौंकाने वाली है क्योंकि पिछले कुछ सालों से चिली में युवाओं और प्रदर्शनकारियों का झुकाव वामपंथ की ओर था। लेकिन शायद जनता मौजूदा हालात, अपराध या अर्थव्यवस्था की सुस्त रफ़्तार से ऊब चुकी थी। कस्ट ने अपने चुनावी कैंपेन में "शांति, व्यवस्था और आज़ादी" का वादा किया, जो वहां की जनता को खूब भाया। उन्होंने साफ़ कहा कि वो देश को अराजकता से बाहर निकालेंगे। उनकी ये बेबाक और कड़क छवि ही उन्हें जीत की दहलीज तक ले गई।

दुनिया पर इसका क्या असर होगा?

जोस एंटोनियो कस्ट की जीत का मतलब है कि लैटिन अमेरिका में जो 'लेफ्ट वेव' (Left Wave) चल रही थी, उस पर अब ब्रेक लग सकता है। उनके राष्ट्रपति बनने से अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों के साथ चिली के रिश्ते एक नया मोड़ ले सकते हैं। बाज़ारों के लिए यह खबर अच्छी मानी जा सकती है, क्योंकि निवेशक (Investors) अक्सर राइट-विंग नीतियों को कारोबार के लिए अच्छा मानते हैं।

अब देखना दिलचस्प होगा कि कस्ट अपने वादों को हकीकत में कैसे बदलते हैं, लेकिन इतना तो तय है— चिली अब एक नए रास्ते पर निकल पड़ा है।

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