Cough Syrup Scandal : यूपी में ईडी की बड़ी स्ट्राइक लखनऊ, जौनपुर और वाराणसी में 25 ठिकानों पर छापेमारी
News India Live, Digital Desk : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आज सुबह का सूरज एक बड़ी खबर के साथ निकला। आम लोग तो अपनी दिनचर्या में व्यस्त थे, लेकिन राज्य के कई बड़े दवा कारोबारियों और संदिग्ध लोगों के घर पुलिस और अर्धसैनिक बलों के साथ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गाड़ियां खड़ी थीं। मामला कोई छोटा-मोटा नहीं, बल्कि 'कफ सिरप' (Cough Syrup) के जरिये हो रहे नशे और काले धन के खेल का है।
जब दवा का इस्तेमाल जान बचाने की बजाय नशा फैलाने के लिए होने लगे, तो कार्रवाई तो बनती है। ईडी ने आज एक साथ लखनऊ, जौनपुर और वाराणसी सहित 25 ठिकानों पर छापेमारी की है। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है और कफ सिरप के नाम पर कैसा 'खेला' हो रहा था।
1. 3 शहरों में एक साथ 'धावा'
सूत्रों की मानें तो ईडी की टीमों ने बेहद गुप्त तरीके से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। स्थानीय पुलिस को भी भनक तब लगी जब रेड शुरू हो चुकी थी। लखनऊ के कुछ पॉश इलाकों, जौनपुर के सघन बाजारों और वाराणसी के कुछ प्रमुख ठिकानों पर एक ही समय पर कार्रवाई शुरू हुई। इस दौरान किसी को भी घर के अंदर से बाहर जाने या बाहर से अंदर आने की इजाजत नहीं दी गई। मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए हैं।
2. क्यों राडार पर आया कफ सिरप?
अब आप सोच रहे होंगे कि "कफ सिरप तो खांसी की दवा है, इस पर रेड क्यों?" दरअसल, कोडीन (Codeine) युक्त कफ सिरप का इस्तेमाल आजकल दवा के तौर पर कम और 'नशे' (Intoxication) के तौर पर ज्यादा किया जा रहा है। इसे प्रतिबंधित होने के बावजूद गैर-कानूनी तरीके से बनाया और बेचा जा रहा है। खबरें हैं कि इस सिंडिकेट ने यूपी के रास्ते बांग्लादेश और अन्य जगहों पर इसकी तस्करी का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया था।
3. मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा जाल (Money Laundering Angle)
ईडी का काम है पैसे के गलत लेन-देन (Money Laundering) को पकड़ना। जांच एजेंसी को शक है कि इस अवैध कफ सिरप के धंधे से करोड़ों रुपये कमाए गए हैं। यह पैसा 'ब्लैक मनी' के तौर पर जमा किया गया और फिर उसे रियल एस्टेट या अन्य बिजनेस में लगाकर 'व्हाइट' करने की कोशिश की गई। इसी मनी ट्रेल (Money Trail) को पकड़ने के लिए ईडी खही-बही और बैंक खाते खंगाल रही है।
4. कौन हैं निशाने पर?
इस छापेमारी में निशाने पर मुख्य रूप से वो दवा माफिया और कारोबारी हैं, जो कागज पर तो मेडिकल स्टोर या एजेंसी चलाते हैं, लेकिन असल में तस्करी के सिंडिकेट से जुड़े हैं। जौनपुर और वाराणसी में कुछ रसूखदार लोगों के यहां भी पूछताछ चल रही है। आशंका है कि रेड खत्म होने के बाद करोड़ों की बेहिसाब संपत्ति और फर्जी दस्तावेजों का जखीरा मिल सकता है।
5. आम जनता के लिए चिंता की बात
यह खबर हम सभी के लिए एक चेतावनी भी है। जब दवा माफिया अपने मुनाफे के लिए दवाओं का दुरुपयोग करते हैं, तो असली मरीजों तक सही दवा नहीं पहुंच पाती या फिर नकली दवाओं का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, युवाओं को नशे की लत में धकेलने का यह गोरखधंधा समाज को खोखला कर रहा है।
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