झूठे केसों का खेल होगा खत्म? रवि किशन ने संसद में मांग लिया निर्दोषों के लिए इंसाफ
News India Live, Digital Desk : क्या आपने कभी अपने आसपास देखा या सुना है कि किसी बेकसूर इंसान को सिर्फ आपसी दुश्मनी या जमीन-जायदाद के झगड़े में पुलिस केस में फंसा दिया गया हो? हमारे समाज की यह एक बहुत कड़वी और डरावनी सच्चाई है। एक झूठा साइन और पूरी जिंदगी कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने में निकल जाती है।
लेकिन अब लगता है कि इस डर का इलाज होने वाला है। गोरखपुर से बीजेपी सांसद और मशहूर अभिनेता रवि किशन (Ravi Kishan) ने इस गंभीर मुद्दे को देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद में उठाया है। उनकी मांग ने उन हजारों लोगों को उम्मीद दी है जो झूठे मुकदमों का बोझ ढो रहे हैं।
आइए आसान भाषा में समझते हैं कि रवि किशन ने आखिर क्या मांग की है और यह हमारे और आपके लिए क्यों जरूरी है।
1. "दुश्मनी निकालने का हथियार बन गया है कानून"
रवि किशन ने संसद में बड़ी साफगोई से कहा कि आजकल कानून का इस्तेमाल न्याय के लिए कम और 'बदला लेने' के लिए ज्यादा हो रहा है। गांव-देहात हो या शहर, लोग छोटी-मोटी बहस या रंजिश में सीधे धारा 302 (हत्या), 376 (रेप) या डकैती जैसे संगीन आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज करा देते हैं। नतीजा? एक हंसता-खेलता परिवार और एक निर्दोष इंसान रातों-रात 'अपराधी' बन जाता है।
2. परिवार बिखर जाता है, करियर तबाह हो जाता है
जरा सोचिए, उस बेकसूर इंसान पर क्या गुजरती होगी जिसे झूठे केस में जेल जाना पड़े। रवि किशन ने इसी दर्द को बयां किया। उन्होंने कहा कि जब तक कोर्ट में यह साबित होता है कि वो इंसान निर्दोष है, तब तक उसका सामाजिक सम्मान खत्म हो चुका होता है। नौकरी चली जाती है, बच्चों का भविष्य अंधकार में डूब जाता है और मानसिक तनाव अलग। और सबसे दुखद बात यह है कि झूठा केस करने वाला मजे से बाहर घूमता रहता है।
3. "जैसे को तैसा" - चाहिए सख्त सजा!
रवि किशन ने मांग की है कि एक ऐसा सख्त कानून बनना चाहिए जो झूठी शिकायत करने वालों को सबक सिखा सके। उनका सुझाव एकदम सीधा है अगर जांच में पता चले कि शिकायत झूठी थी और सिर्फ फंसाने के लिए की गई थी, तो शिकायतकर्ता (Complainant) को भी उतनी ही सजा मिलनी चाहिए, जितनी सजा उस अपराध के लिए होती जिसका उसने झूठा आरोप लगाया था।
यानी, अगर किसी ने झूठा मर्डर केस किया, तो उसे भी वही सजा मिले जो एक कातिल को मिलती।
4. पुलिस और जांच एजेंसियों का समय बचाइये
उन्होंने एक और पते की बात कही। हमारे देश की अदालतें और पुलिस पहले से ही काम के बोझ तले दबी हैं। ऐसे में ये फर्जी केस असली अपराधियों को पकड़ने के रास्ते में रोड़ा बनते हैं। अगर फर्जी केस दर्ज कराने वालों के मन में 'सजा का डर' होगा, तो वो ऐसा करने से पहले दस बार सोचेंगे और पुलिस का कीमती वक्त बर्बाद नहीं होगा।
5. क्या संसद सुनेगी यह पुकार?
रवि किशन की यह मांग सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रही है। आम जनता, खासकर जो लोग खुद ऐसे फर्जी मामलों के शिकार हुए हैं, वे खुलकर इसका समर्थन कर रहे हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस सुझाव पर कब और कैसे कदम उठाती है। लेकिन एक बात तो तय है यह मुद्दा छेड़कर रवि किशन ने समाज की 'दुखती रग' पर हाथ रख दिया है।
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