UP BJP New Chief : लखनऊ में बड़ा फैसला योगी के साथ अब पंकज चौधरी की जोड़ी, 2027 के लिए सेट हुआ गेम?

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News India Live, Digital Desk : आज यानी 14 दिसंबर (रविवार) को उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ऐसा अध्याय जुड़ा है, जिसकी सुगबुगाहट तो काफी दिनों से थी, लेकिन आधिकारिक मुहर आज लग गई है। लखनऊ स्थित बीजेपी मुख्यालय में हलचल तेज थी, गहमागहमी का माहौल था और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में केंद्रीय मंत्री और चुनाव पर्यवेक्षक (Observer) पीयूष गोयल ने वो नाम पुकारा, जिसका इंतज़ार हर कोई कर रहा था।

जी हाँ, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary) को भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की कमान सौंप दी है। उन्हें निर्विरोध रूप से यूपी बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है।

योगी के साथ अब 'पंकज' की जुगलबंदी

भूपेंद्र सिंह चौधरी के बाद अब यह जिम्मेदारी पंकज चौधरी के कन्धों पर है। जब मंच पर पीयूष गोयल ने उनके नाम का ऐलान किया और सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें बधाई दी, तो एक बात साफ हो गई कि बीजेपी अब पूरी तरह से "मिशन मोड" में आ चुकी है।

आखिर पंकज चौधरी ही क्यों? (द इनसाइड स्टोरी)

राजनीति में कोई भी फैसला यूँ ही नहीं होता। पंकज चौधरी को चुनने के पीछे बीजेपी की बहुत गहरी 'सोशल इंजीनियरिंग' है। आइये इसे आसान भाषा में समझते हैं:

  1. ओबीसी (OBC) का मजबूत चेहरा: पंकज चौधरी कुर्मी समाज से आते हैं, जो यूपी में वोट बैंक के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। समाजवादी पार्टी के "पीडीए" (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले की काट ढूंढने के लिए बीजेपी को एक कद्दावर ओबीसी चेहरे की जरुरत थी। पंकज चौधरी उस खांचे में बिलकुल फिट बैठते हैं।
  2. पूर्वांचल की पकड़: पंकज चौधरी महाराजगंज से 7 बार सांसद रह चुके हैं। पूर्वांचल में उनकी पकड़ बहुत मजबूत है। पिछली बार लोकसभा चुनावों में बीजेपी को जहाँ नुकसान हुआ था, उसकी भरपाई करने के लिए पंकज चौधरी को आगे लाया गया है।
  3. संगठन और सरकार में तालमेल: पंकज चौधरी को संगठन का पुराना अनुभव है। वे शांत स्वाभाव के माने जाते हैं, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संगठन के बीच तालमेल बेहतरीन रहेगा।

कार्यकर्ताओं में नया जोश

लखनऊ में बीजेपी दफ्तर के बाहर का नज़ारा देखने लायक था। ढोल-नगाड़े और आतिशबाजी के साथ कार्यकर्ताओं ने नए अध्यक्ष का स्वागत किया। पंकज चौधरी ने भी जिम्मेदारी लेते ही साफ कर दिया कि उनका लक्ष्य पार्टी को और मजबूत करना और केंद्र-राज्य सरकार की योजनाओं को घर-घर पहुँचाना है।

विरोधी पार्टियों के लिए संकेत

इस नियुक्ति के साथ ही बीजेपी ने 2027 के विधानसभा चुनावों (जो अभी दूर हैं लेकिन तैयारी आज से है) के लिए अपना एक और मोहरा चल दिया है। यह फैसला सपा और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी हो सकता है, क्योंकि बीजेपी ने अब सीधे उनके कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी कर ली है।

कुल मिलाकर, रविवार का दिन यूपी की सियासत के नाम रहा। अब देखना दिलचस्प होगा कि सीएम योगी की आक्रामकता और पंकज चौधरी का अनुभव मिलकर यूपी में बीजेपी की गाड़ी को किस रफ्तार से आगे ले जाते हैं।

आपकी राय में क्या पंकज चौधरी यूपी में बीजेपी के पुराने प्रदर्शन को दोहरा पाएंगे? कमेंट में जरूर सोचें!

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