बांग्लादेश में रक्त चरित्र कौन थे उस्मान हादी जिनके जनाजे में रो पड़ा पूरा ढाका
News India Live, Digital Desk : हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश से एक बार फिर दिल दहला देने वाली और चिंताजनक खबरें आ रही हैं। लगा था कि शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद वहां शांति आ जाएगी, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा। वहां की राजधानी ढाका एक बार फिर बारूद के ढेर पर बैठी है। वजह है क्रांति का चेहरा माने जाने वाले युवा नेता उस्मान हादी (Osman Hadi) की हत्या और उनका गमगीन जनाजा।
माहौल कितना तनावपूर्ण है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगा लीजिए कि एक तरफ जनाजा उठ रहा था और दूसरी तरफ समर्थकों का गुस्सा सातवें आसमान पर था। 'इंकलाब मंच' (Inquilab Manch) ने अब सरकार को सीधे ललकार दिया है।
गम और गुस्से के बीच विदाई
शनिवार को ढाका में उस्मान हादी को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। यह कोई आम अंतिम विदाई नहीं थी। ढाका विश्वविद्यालय का पूरा सेंट्रल प्लेग्राउंड लोगों के सिरों से पटा हुआ था। हर तरफ सिर्फ और सिर्फ भीड़। उस्मान हादी का कद क्या था, ये इसी से पता चलता है कि उनके जनाजे की नमाज़ पढ़ने खुद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख डॉ. मोहम्मद यूनुस (Dr. Muhammad Yunus) पहुंचे थे। उनके साथ सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां और सरकार के कई बड़े मंत्री भी वहां मौजूद थे।
उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ राष्ट्रीय कवि काजी नजरूल इस्लाम के मकबरे के ठीक बगल में दफनाया गया है। बांग्लादेश में इस जगह पर दफनाया जाना ही अपने आप में बहुत बड़ा सम्मान है।
पर असली पेंच अब फंसा है...
जनाजा ख़त्म होते ही उस्मान हादी के संगठन 'इंकलाब मंच' ने अपना रुख साफ़ कर दिया। उन्होंने आंसुओं को गुस्से में बदल दिया है। संगठन के प्रवक्ता ने भरे मंच से ऐलान कर दिया कि यह "हत्या" है और वे इसे ऐसे ही नहीं जाने देंगे।
उन्होंने सरकार को साफ़-साफ़ 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। उनकी मांग एकदम सीधी है— "रविवार शाम 5 बजकर 15 मिनट तक अगर उस्मान हादी के हत्यारे और साजिश रचने वाले गिरफ्तार नहीं हुए, तो हम वो करेंगे जिसकी उम्मीद सरकार ने नहीं की होगी।" उन्होंने धमकी दी है कि अगर इंसाफ नहीं मिला, तो एक और बड़ा आंदोलन शुरू होगा, जिसे रोकना किसी के बस की बात नहीं होगी।
आखिर हुआ क्या था?
जो लोग नहीं जानते, उन्हें बता दें कि उस्मान हादी वही शख्स थे जिन्होंने पिछले साल हुए उस बड़े छात्र आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी, जिससे तख्तापलट हुआ था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 12 दिसंबर को कुछ नकाबपोश बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी थी। उन्हें बचाने की बहुत कोशिश हुई, इलाज के लिए एयर एम्बुलेंस से सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन अफ़सोस, 27 साल के इस युवा नेता ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया।
साजिश या कुछ और?
समर्थकों का कहना है कि यह एक सोची-समझी सियासी हत्या है। बांग्लादेश में आने वाले दिनों में चुनाव (12 फरवरी को संभावित) होने वाले हैं, और उस्मान हादी उसमें एक मजबूत उम्मीदवार हो सकते थे। अब उनके जाने से कई समीकरण बिगड़ गए हैं। ढाका में मीडिया हॉउस पर हुए हमलों और अब इस हत्या ने यूनुस सरकार की कानून-व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लगा दिया है।
अगले 24 घंटे ढाका के लिए बेहद भारी हैं। अगर हत्यारे नहीं पकड़े गए, तो क्या बांग्लादेश फिर जल उठेगा? यह डर सबके मन में है।
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