झारखंड के स्वाभिमान की जीत महामहिम अब राज भवन में नहीं, बिरसा भवन में रहेंगे

Post

News India Live, Digital Desk: झारखंड की राजधानी रांची और उप-राजधानी दुमका से एक ऐसी खबर आई है, जिसने पूरे राज्य के माहौल को भावनात्मक कर दिया है। हम सब बचपन से सुनते आ रहे हैं"राज भवन"। वो जगह जहाँ राज्यपाल (Governor) रहते हैं। नाम में ही एक 'शाही' और 'अंग्रेजी हुकूमत' वाली बू आती थी, है न? लगता था जैसे कोई राजा का महल हो, जिससे आम आदमी का जुड़ाव कम हो।

लेकिन अब यह इतिहास बन गया है। झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है।

अब रांची में 'बिरसा भवन' और दुमका में 'सिदो-कान्हू भवन'

जी हाँ, आपने बिल्कुल सही पढ़ा।
रांची स्थित राज भवन का नाम बदलकर अब 'बिरसा भवन' कर दिया गया है। यह नाम धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में रखा गया है, जिन्होंने जल, जंगल और जमीन के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी थी।

वहीं, दुमका (जो संताल परगना का दिल है) के राज भवन का नाम अब 'सिदो-कान्हू भवन' होगा। सिदो और कान्हू, वो वीर भाई जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 'हूल क्रांति' का बिगुल फूंका था।

सिर्फ नाम बदला है या सोच?

यह फैसला सिर्फ एक बोर्ड बदलने जैसा नहीं है। यह एक संदेश है। यह बताता है कि झारखंड की असली पहचान 'राज' करने वालों से नहीं, बल्कि 'संघर्ष' करने वाले नायकों से है। जब कोई अब गवर्नर हाउस के सामने से गुजरेगा, तो उसे 'सत्ता' का नहीं, बल्कि 'त्याग और बलिदान' का एहसास होगा।

लोगों में खुशी की लहर

जैसे ही यह खबर बाहर आई, सोशल मीडिया से लेकर चौक-चौराहों तक, लोगों के चेहरे पर एक अलग ही चमक है। लोग कह रहे हैं कि बहुत पहले हो जाना चाहिए था, लेकिन 'देर आए, दुरुस्त आए'। यह हमारी संस्कृति और हमारी जड़ों (Roots) के प्रति सम्मान है।

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार की इस पहल ने साबित कर दिया है कि अगर नीयत साफ हो, तो छोटे फैसले भी बड़ा असर छोड़ जाते हैं। अब महामहिम 'बिरसा भवन' में रहेंगे सुनने में ही कितना अपनापन लगता है न?

--Advertisement--