Education News : NCERT के इस ऐलान ने बदल दिए नियम, अब 10वीं-12वीं सर्टिफिकेट को मिलेगी ये मान्यता

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News India Live, Digital Desk: अब सीबीएसई (CBSE) या अन्य राज्य बोर्ड्स की तरह ओपन स्कूलों (Open School) से पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए एक बहुत बड़ी और अच्छी खबर आई है. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने फैसला किया है कि कक्षा 10वीं और 12वीं के सर्टिफिकेट्स के लिए भी अब समान मान्यता (Equivalence) दी जाएगी, जिसका मतलब है कि इन सर्टिफिकेट्स को भी एडमिशन और सरकारी नौकरियों में वही महत्व मिलेगा जो पारंपरिक बोर्ड्स के सर्टिफिकेट्स को मिलता है. यह कदम उन लाखों छात्रों के लिए एक बहुत बड़ा सकारात्मक बदलाव है जो ओपन स्कूलिंग सिस्टम से अपनी शिक्षा पूरी करते हैं.

यह फैसला खासकर उन छात्रों के लिए वरदान साबित होगा जो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) या किसी अन्य राज्य ओपन स्कूल बोर्ड से अपनी पढ़ाई करते हैं. पहले कई बार इन छात्रों को उच्च शिक्षा में एडमिशन लेने या सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता था, क्योंकि उनके सर्टिफिकेट्स को कभी-कभी 'कम' आँका जाता था.

NCERT के इस फैसले का क्या होगा असर?

  1. उच्च शिक्षा में आसानी: अब 10वीं और 12वीं कक्षा के बाद कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एडमिशन लेना इन छात्रों के लिए आसान हो जाएगा. उनके सर्टिफिकेट्स को समान रूप से स्वीकार किया जाएगा, जिससे उनकी उच्च शिक्षा की राह खुलेगी.
  2. सरकारी नौकरियों में समान अवसर: यह फैसला सरकारी नौकरी पाने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अब ओपन स्कूल से पढ़े हुए छात्र भी सरकारी विभागों में निकली नौकरियों के लिए बिना किसी हिचकिचाहट या भेदभाव के आवेदन कर पाएंगे, जिससे उन्हें समान अवसर मिलेंगे.
  3. ओपन स्कूलिंग को बढ़ावा: यह NCERT का कदम ओपन स्कूलिंग सिस्टम को समाज में ज़्यादा स्वीकार्यता दिलाएगा. यह उन छात्रों के लिए एक शानदार विकल्प है जो किसी कारणवश नियमित स्कूलों में नहीं जा पाते.
  4. छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा: यह समानता छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगी. उन्हें लगेगा कि उनकी मेहनत और उनकी शिक्षा किसी भी अन्य छात्र से कम नहीं है, जिससे वे अपने भविष्य के लिए और भी ज़्यादा प्रेरित होंगे.

सरकार और NCERT का यह निर्णय भारतीय शिक्षा प्रणाली को समावेशी और समानता आधारित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि शिक्षा हासिल करने का रास्ता चाहे कोई भी हो, उसकी गुणवत्ता और स्वीकार्यता समान रहेगी.

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