देवभूमि में देर रात टूटा आसमानी कहर, चीख-पुकार के बीच तबाह हो गया पूरा बाज़ार
उत्तराखंड के पहाड़ों में मानसून का मौसम कब और कहाँ आफ़त लेकर आ जाए, कोई नहीं जानता। चमोली ज़िले के थराली में रहने वाले लोगों के लिए बीती रात एक ऐसी ही क़यामत की रात बनकर आई। जब लोग अपने घरों में गहरी नींद में सो रहे थे, तब रात के अंधेरे में अचानक बादल फटा और कुछ ही मिनटों में सब कुछ तहस-नहस हो गया।
रात के अंधेरे में मची चीख-पुकार
घटना देर रात की है, जब थराली बाज़ार के ठीक ऊपर तूणरी गदेरे (एक बरसाती नाला) में बादल फट गया। बादल फटने से नाले में अचानक पानी का ऐसा सैलाब आया कि वह अपने साथ भारी मात्रा में मलबा, सिल्ट और बड़े-बड़े पत्थर लेकर नीचे की ओर दौड़ा। जब तक लोग कुछ समझ पाते, यह सैलाब थराली के मुख्य बाज़ार में घुस चुका था।
एक के बाद एक, कई दुकानों में मलबा और पानी भर गया। बाज़ार में चारों तरफ़ अफ़रा-तफ़री और चीख-पुकार मच गई। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। सैलाब का बहाव इतना तेज़ था कि उसने दुकानों के अंदर रखे लाखों रुपये के सामान को या तो बर्बाद कर दिया या अपने साथ बहा ले गया।
सुबह दिखा तबाही का खौफ़नाक मंजर
जब सुबह हुई तो तबाही का असली मंज़र सामने आया। पूरा बाज़ार मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका था। दुकानें, गाड़ियां, सब कुछ सिल्ट और पत्थरों के नीचे दबा हुआ था। जिन दुकानों में कभी ग्राहकों की भीड़ रहती थी, वहाँ आज सिर्फ़ बर्बादी के निशान थे। व्यापारी अपनी आँखों के सामने अपनी ज़िंदगी भर की कमाई को तबाह होते देख बेबस थे।
घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन और SDRF की टीमें मौके पर पहुँची और राहत व बचाव का काम शुरू किया। सड़कों और दुकानों से मलबा हटाने का काम जारी है, लेकिन नुकसान इतना ज़्यादा है कि इसकी भरपाई में लंबा समय लग जाएगा।
यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि पहाड़ों में जीवन कितना कठिन और अनिश्चितताओं से भरा है, ख़ासकर मानसून के इन महीनों में। मौसम विभाग ने पहले ही उत्तराखंड के कई ज़िलों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया हुआ है ऐसे में यह तबाही एक बड़ी चेतावनी की तरह है।
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