कफ सिरप से शुरू हुई बात, शायरी पर खत्म ,सीएम योगी ने जब भरे सदन में अखिलेश यादव की बोलती बंद की
News India Live, Digital Desk : उत्तर प्रदेश की विधानसभा (UP Assembly) का सत्र चल रहा हो और वहां सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के बीच 'तू-तू मैं-मैं' न हो, ऐसा भला कैसे हो सकता है? अक्सर हम नेताओं को गंभीर भाषण देते सुनते हैं, लेकिन कल विधानसभा में जो नज़ारा दिखा, वो किसी मुशायरे से कम नहीं था।
अखिलेश यादव ने सरकार को घेरने के लिए एक 'कफ सिरप' (Cough Syrup) का मुद्दा उठाया, लेकिन जवाब में 'महाराज जी' ने ऐसी शायरी मारी कि सत्ता पक्ष के विधायक मेजें थपथपाने लगे।
आखिर मुद्दा क्या था? (कफ सिरप कनेक्शन)
सत्र के दौरान अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा था कि राज्य में "कफ सिरप" की वजह से लोगों की जान जा रही है (संभवतः किसी अवैध दवा या ठंड के संदर्भ में)। उनका इशारा सरकार की नाकामी की तरफ था। अखिलेश अक्सर अपने बयानों में सरकार पर चुटकी लेते रहते हैं।
लेकिन इस बार उनका यह दांव उल्टा पड़ गया। सीएम योगी जब बोलने खड़े हुए, तो उन्होंने इस ताने का जवाब बहुत ही 'शायरना' अंदाज़ में दिया।
योगी का पलटवार: "यही कसूर मैं बार-बार करता रहा..."
सीएम योगी ने मुस्कुराते हुए अखिलेश यादव की तरफ देखा और एक मशहूर गजल की पंक्तियां सुना दीं:
"यही कसूर मैं बार-बार करता रहा,
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता रहा।"
अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें पलटवार कहाँ है? तो सुनिए!
योगी जी ने आगे जो कहा, उसने पूरा मतलब बदल दिया। उन्होंने अखिलेश पर तीखा हमला करते हुए कहा कि, "आपका दर्द यह है कि आप दंगाइयों और माफियाओं के साथ खड़े होते थे, और हम 'आम आदमी' के साथ खड़े हैं। हमें जनता (आदमी) से प्यार है, और आपको शायद अपराधियों से। इसीलिए आपको हमारा हर काम कसूर लगता है।"
योगी ने साफ़ कर दिया कि जिन्हें अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई बुरी लगती है, वो अब "कफ सिरप" जैसी बातों में भी कमियां ढूंढ रहे हैं।
सदन में बजी तालियां
जैसे ही योगी ने अपनी शायरी पूरी की, पूरा सदन 'जय श्री राम' और तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। वहीं, समाजवादी पार्टी के खेमे में थोड़ी खामोशी छा गई। योगी ने बातों ही बातों में विपक्ष को आईना दिखा दिया कि कैसे 2017 से पहले की सरकारों में 'माफिया राज' को संरक्षण मिलता था।
सियासत का 'ह्यूमर' (Humor)
वैसे जो भी हो, यूपी की राजनीति में यह नज़ारा देखने लायक होता है। एक तरफ अखिलेश की चुटीली बातें, और दूसरी तरफ योगी जी का रौबदार और व्यंग्यात्मक अंदाज़। जनता को तो मज़ा आ ही जाता है!
आपका इस शायरी-युद्ध (Poetry War) पर क्या कहना है? योगी जी का जवाब 'हिट' था या अखिलेश का सवाल भारी था? अपनी राय जरूर रखियेगा!
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