बहराइच खेत में काम कर रहे किसान पर तेंदुए का हमला, जबड़े में पैर दबाया, गांव वालों ने ऐसे बचाई जान

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 News India Live, Digital Desk : उत्तर प्रदेश का बहराइच (Bahraich) जिला पिछले कुछ समय से जंगली जानवरों के खौफ का दूसरा नाम बन गया है। कभी भेड़ियों का डर तो कभी बाघ की दहाड़, और अब तेंदुओं (Leopard) ने यहाँ के किसानों का जीना मुहाल कर रखा है। ताजा मामला सुजौली रेंज से आया है, जहाँ एक युवा किसान के साथ जो हुआ, उसे सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

यह घटना हमें याद दिलाती है कि पेट की भूख मिटाने के लिए किसान को किन खतरों से खेलना पड़ता है।

अंधेरा होते ही 'मौत' ने मारी झपट्टा
घटना सुजौली थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग (Katarniaghat Wildlife Division) के पास की है। यहाँ महाराजसिंह नगर के रहने वाले 21 साल के अरुण कुमार यादव अपनी रोजमर्रा की तरह खेत पर काम करने गए थे। शाम ढल रही थी और अरुण अपने गेहूं के खेत में पानी (सिंचाई) लगा रहे थे।

अरुण को जरा भी भनक नहीं थी कि फसलों के बीच कोई उन्हें अपना शिकार बनाने के लिए देख रहा है। जैसे ही अंधेरा थोड़ा गहरा हुआ, घात लगाकर बैठे एक तेंदुए ने पूरी रफ्तार से अरुण पर हमला कर दिया।

जबड़े में जकड़ लिया पैर
हमला इतना अचानक था कि अरुण को संभलने का मौका भी नहीं मिला। तेंदुए ने झपटते ही अरुण को जमीन पर गिरा दिया और उनके एक पैर को अपने मजबूत जबड़े में दबोच लिया। एक तरफ खूनखबार तेंदुआ और दूसरी तरफ निहत्था किसान—अरुण ने हार नहीं मानी और शोर मचाना शुरू किया। वो अपनी जान बचाने के लिए छटपटाते रहे, लेकिन जानवर की पकड़ ढीली नहीं हो रही थी।

गांव वालों की हिम्मत ने बचाई जान
किस्मत अच्छी थी कि पास के खेतों में कुछ और ग्रामीण भी काम कर रहे थे। अरुण की दर्दनाक चीखें सुनकर वे लाठी-डंडे लेकर दौड़ पड़े।

ग्रामीणों ने वहां पहुंचकर एकजुट होकर 'हांका' लगाया (तेज शोर मचाना और ललकारना)। इतनी सारी आवाज़ें और लोगों को अपनी तरफ आते देख तेंदुआ घबरा गया। वह अरुण को घायल हालत में छोड़कर गन्ने के खेतों और जंगल की तरफ भाग निकला। अगर गाँव वाले वहां समय पर न पहुंचते, तो शायद यह अरुण का आखिरी दिन होता।

हालात गंभीर, अस्पताल रेफर
तेंदुए के भागने के बाद परिजन और ग्रामीण अरुण को लेकर तुरंत मोतीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) भागे। डॉक्टरों ने बताया कि पैर पर तेंदुए के दांतों के गहरे घाव हैं। हालत को गंभीर देखते हुए, प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है।

इलाके में दहशत का माहौल
इस घटना के बाद से पूरे इलाके में सन्नाटा और डर पसरा हुआ है। वन विभाग को सूचना दे दी गई है, लेकिन गांव वाले अब भी डरे हुए हैं कि कहीं वो जानवर दोबारा न आ जाए। बहराइच के किसानों के लिए अब अपने ही खेत किसी युद्ध के मैदान से कम नहीं रह गए हैं।

हमारी आपसे गुजारिश है कि अगर आप ऐसे संवेदनशील इलाकों में रहते हैं, तो कृपया शाम के वक्त खेतों में अकेले न जाएं और हमेशा सतर्क रहें। अरुण की हिम्मत को सलाम, और उम्मीद है वो जल्द ठीक होकर घर लौटेंगे।

 

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