छत्तीसगढ़ में BJP लीडर के विवादित बोल, ममता बनर्जी पर दिया शर्मनाक बयान
News India Live, Digital Desk : राजनीति में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप तो चलते रहते हैं, लेकिन जब कोई नेता अपनी मर्यादा भूलकर किसी महिला मुख्यमंत्री के खिलाफ हिंसात्मक या भद्दी भाषा का इस्तेमाल करे, तो यह समाज के लिए चिंता की बात बन जाती है।
ताज़ा मामला छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का है। यहाँ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को लेकर एक ऐसा विवादित बयान दिया है, जिसने सियासी गलियारों में हड़कंप मचा दिया है।
आखिर ऐसा क्या कह दिया?
खबरों के मुताबिक, एक विरोध प्रदर्शन या सभा के दौरान इन बीजेपी नेता का गुस्सा सातवें आसमान पर था। जोश में होश खोते हुए उन्होंने ममता बनर्जी को सीधी चेतावनी दे डाली। उन्होंने बेहद आक्रामक अंदाज में कहा कि ममता बनर्जी की "हालत खराब कर दी जाएगी" या उन्हें "बख्शा नहीं जाएगा"। (शब्द इतने तल्ख थे कि उनकी निंदा हर तरफ हो रही है)।
उनका कहना था कि जिस तरह से बंगाल में घटनाएं हो रही हैं, उस पर वो चुप नहीं बैठेंगे, लेकिन इस विरोध को जताने के लिए उन्होंने जिन शब्दों का चुनाव किया, वह बेहद आपत्तिजनक था। उन्होंने बातों-बातों में यह तक कह दिया कि राक्षसी प्रवृत्ति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उसका 'अंत' जरूरी है।
क्यों दिया ऐसा बयान?
दरअसल, यह पूरा मामला बंगाल में हो रही घटनाओं और वहां की राजनीति से जुड़ा है। बीजेपी लगातार ममता सरकार पर हमलावर है। इसी सिलसिले में छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी नेता विरोध जता रहे थे, लेकिन यह 'विरोध' कब 'बदतमीजी' और 'धमकी' में बदल गया, शायद नेताजी को खुद पता नहीं चला।
विपक्ष का पलटवार: "यह बीजेपी का असली चेहरा है"
जैसे ही इस बयान का वीडियो वायरल हुआ, कांग्रेस (Congress) और टीएमसी (TMC) ने मोर्चा खोल दिया है। विपक्ष का कहना है कि एक महिला मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना यह दिखाता है कि बीजेपी नेताओं के मन में महिलाओं के लिए कितना सम्मान है।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेताओं ने तुरंत माफी की मांग की है और पुलिस से अपील की है कि भड़काऊ भाषण देने वाले नेता पर कार्रवाई होनी चाहिए। सोशल मीडिया पर भी आम लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या राजनीति में अब सिर्फ गालियां और धमकियां ही बची हैं?
विचार करने वाली बात
सवाल किसी एक पार्टी का नहीं है, सवाल उस सोच का है। क्या लोकतंत्र में अपनी बात रखने के लिए हिंसात्मक शब्दों का सहारा लेना जरूरी है? नेता जी ने जो कहा, उससे बंगाल में तो शायद ही कोई फर्क पड़े, लेकिन छत्तीसगढ़ की शांत फिजा में उन्होंने जहर घोलने का काम जरूर किया है।
अब देखना होगा कि बीजेपी अपने इस नेता के 'बिगड़े बोल' पर क्या एक्शन लेती है, या फिर इसे सियासी बयान बताकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
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