बच्चों के हक के पैसे पर डाका? राजस्थान सरकार ने घूसखोर अफसरों को किया सस्पेंड, विभाग में मचा हड़कंप
News India Live, Digital Desk : हम अक्सर सुनते हैं कि भ्रष्टाचार एक दीमक है, लेकिन जब यह दीमक 'शिक्षा' जैसे पवित्र क्षेत्र को खाने लगे, तो तकलीफ ज्यादा होती है। राजस्थान के शिक्षा विभाग (Education Department) में कुछ ऐसा ही चल रहा था, जिस पर अब भजनलाल सरकार ने सख्त कार्रवाई की है।
मामला विधायकों के फंड (MLA Fund) और उसमें मांगे जाने वाले कमीशन से जुड़ा है। जी हाँ, वो पैसा जो आपके और हमारे बच्चों के स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए होता है, उसमें भी अधिकारी अपना "हिस्सा" मांग रहे थे।
क्या है पूरा माजरा?
खबर है कि शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी स्कूलों में विकास कार्यों के लिए विधायकों द्वारा दिए गए फंड को पास करने के बदले 'कमीशन' (Commission) की मांग कर रहे थे। मतलब साफ़ है "काम तब होगा, जब जेब गर्म होगी।"
विधायकों ने इसकी शिकायत सरकार तक पहुंचाई थी। यह बात सामने आई थी कि फाइलों को जानबूझकर लटकाया जा रहा था ताकि परेशान होकर कमीशन दिया जाए। यह सीधे तौर पर जनता के पैसों की चोरी थी।
सरकार का 'जीरो टॉलरेंस' एक्शन
इस बार सरकार ने जांच बिठाने और सालों तक फाइल घुमाने वाला पुराना तरीका नहीं अपनाया। शिकायत सही पाई गई और तुरंत प्रभाव से आरोपी अधिकारियों को सस्पेंड (Suspend) कर दिया गया।
सरकार ने साफ़ संदेश दिया है कि प्रदेश में 'ईमानदारी' ही चलेगी। चाहे कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो, अगर वो विकास के काम में रोड़ा अटकाएगा या रिश्वत मांगेगा, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।
विभाग में सन्नाटा, अफसर सकते में
इस कार्रवाई के बाद जयपुर स्थित शिक्षा संकुल और विभाग के अन्य दफ्तरों में हड़कंप मचा हुआ है। जो अधिकारी कल तक अपनी मनमर्जी चला रहे थे, अब उनमें खौफ है। यह कार्रवाई इसलिए भी जरूरी थी ताकि बाकियों को भी सबक मिले।
जनता की जीत
यह सिर्फ एक सस्पेंशन नहीं है, यह आम जनता और ईमानदार सिस्टम की जीत है। विधायक निधि का पैसा जनता का पैसा है। उसे स्कूलों की छत ठीक करने, पीने का पानी देने और लाइब्रेरी बनाने में लगना चाहिए, न कि किसी भ्रष्ट अफसर की तिजोरी भरने में।
उम्मीद है कि इस कार्रवाई के बाद फाइलों पर धूल नहीं जमेगी और राजस्थान के सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदलेगी।
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