Political Updates : उपराष्ट्रपति पद छोड़ा, फिर पर्दे के पीछे क्यों चले गए जगदीप धनखड़
Newsindia live,Digital Desk: Political Updates : भारतीय राजनीति में कब क्या हो जाए, कहना मुश्किल है। कुछ समय पहले तक देश के उपराष्ट्रपति के तौर पर हर रोज सुर्खियों में रहने वाले जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने सबको चौंका दिया था। लेकिन उससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि उस इस्तीफे के बाद से जगदीप धनखड़ राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन से लगभग पूरी तरह गायब हैं। आखिर वो इन दिनों क्या कर रहे हैं और कहां हैं? यह एक ऐसा सवाल है जो सियासी गलियारों से लेकर आम जनता तक, हर किसी के मन में है।
एक तरफ पति की खामोशी, दूसरी तरफ पत्नी की सक्रियता
जब जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति थे, तो वह अपने बयानों और सक्रियता को लेकर हमेशा चर्चा में रहते थे। लेकिन इस्तीफे के बाद उन्होंने एक गहरी खामोशी अख्तियार कर ली है। हालांकि, तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है जो बेहद दिलचस्प है। एक तरफ जहां जगदीप धनखड़ राजनीतिक परिदृश्य से दूर हैं, वहीं उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ अपने गृह राज्य राजस्थान में अचानक बहुत सक्रिय हो गई हैं।
क्या किसी नई राजनीतिक पारी की है तैयारी?
डॉ. सुदेश धनखड़ इन दिनों लगातार राजस्थान, खासकर अपने क्षेत्र झुंझुनूं और आसपास के इलाकों का दौरा कर रही हैं। उन्हें लगातार सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के तौर पर देखा जा रहा है। लोगों से उनका मेलजोल और कार्यक्रमों में उनकी बढ़ती मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है।
लोग अब यह कयास लगा रहे हैं कि क्या यह सब किसी नई राजनीतिक पारी की तैयारी है? क्या डॉ. सुदेश धनखड़ खुद राजनीति में कदम रखने वाली हैं? या फिर वह अपने पति की राजनीतिक जमीन को फिर से सींच रही हैं?
सबके मन में एक ही सवाल - आखिर धनखड़ क्या करेंगे?
इस पूरे घटनाक्रम ने कुछ बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं:
जगदीप धनखड़ का अगला कदम क्या होगा? क्या वह फिर से सक्रिय राजनीति में लौटेंगे?
क्या उनकी यह खामोशी किसी बड़ी योजना का हिस्सा है?
या फिर वह अब अपनी पत्नी को राजनीति में आगे बढ़ाकर एक 'मार्गदर्शक' की भूमिका निभाएंगे?
फिलहाल, इन सवालों का जवाब तो सिर्फ धनखड़ परिवार के पास ही है। लेकिन उनकी रहस्यमयी खामोशी और उनकी पत्नी की बढ़ती सक्रियता, दोनों ही राजस्थान की राजनीति में एक नए अध्याय का संकेत दे रहे हैं, जिसका खुलासा आने वाला वक्त ही करेगा। तब तक, कयासों और चर्चाओं का दौर जारी रहेगा।
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