अब समंदर में होगी अंतरिक्ष यात्रियों की 'सेफ लैंडिंग'! ISRO ने Gaganyaan मिशन की सबसे बड़ी परीक्षा पास की

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"मिशन गगनयान"... यह सिर्फ ISRO का एक मिशन नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का वो सपना है, जब हम अपने देश के बेटे-बेटियों को, अपने ही रॉकेट में बिठाकर, अंतरिक्ष की ऊंचाइयों तक भेजेंगे। इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए ISRO दिन-रात एक किए हुए है, और इसी कड़ी में उन्होंने एक ऐसी बड़ी और महत्वपूर्ण बाधा पार कर ली है, जिसने हमें इस ऐतिहासिक उड़ान के एक कदम और करीब ला दिया है।

ISRO ने गगनयान मिशन के लिए अपने पहले इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (Integrated Air Drop Test) को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह एक बहुत ही जटिल और महत्वपूर्ण परीक्षण था, जिसकी सफलता पर ही हमारे अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी टिकी हुई है।

क्या था यह टेस्ट और यह इतना जरूरी क्यों है?

जब हमारे गगनयान यात्री अंतरिक्ष से वापस धरती के वायुमंडल में प्रवेश करेंगे, तो उनका क्रू मॉड्यूल (जिस कैप्सूल में वे बैठे होंगे) एक आग के गोले की तरह नीचे आ रहा होगा। उसकी रफ्तार हजारों किलोमीटर प्रति घंटा होगी। उस रफ्तार को कम करके, उन्हें समंदर में बिल्कुल सुरक्षित और आराम से उतारने का काम जिस एक चीज पर टिका है, वह है - पैराशूट सिस्टम

यह एयर ड्रॉप टेस्ट इसी पैराशूट सिस्टम की पहली सबसे बड़ी और असली परीक्षा थी।

कैसे किया गया यह पूरा टेस्ट?

यह परीक्षण किसी साइंस फिक्शन फिल्म के सीन जैसा था, जिसे उड़ीसा के चांदीपुर में स्थित रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) फैसिलिटी में अंजाम दिया गया।

  1. ऊपर ले जाया गया कैप्सूल: भारतीय वायु सेना के एक हेलीकॉप्टर ने क्रू मॉड्यूल जैसे ही दिखने वाले एक टेस्ट कैप्सूल को 4.3 किलोमीटर की ऊंचाई तक उठाया।
  2. और फिर... छोड़ दिया! ऊंचाई पर पहुंचने के बाद, हेलीकॉप्टर ने उस कैप्सूल को नीचे गिरा दिया।
  3. पैराशूट्स का जादुई खेल: जैसे ही कैप्सूल ने गिरना शुरू किया, एक के बाद एक पैराशूट अपने क्रम में खुलने लगे। पहले छोटे पायलट पैराशूट खुले, फिर बड़े मेन पैराशूट। इन पैराशूट्स ने कैप्सूल की रफ्तार को धीरे-धीरे कम किया।
  4. सफल और सॉफ्ट लैंडिंग: और अंत में, जैसा कि प्लान किया गया था, वह कैप्सूल बिल्कुल सुरक्षित और धीमी गति से जमीन पर उतरा, ठीक वैसे ही जैसे उसे हमारे अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर समंदर में उतरना है।

इस सफलता का क्या मतलब है?

इस टेस्ट का सफल होना एक बहुत बड़ी कामयाबी है। यह साबित करता है कि ISRO का पैराशूट सिस्टम बिल्कुल सही और भरोसेमंद तरीके से काम कर रहा है। यह हमारे गगन-यात्रियों की सुरक्षा की गारंटी की दिशा में एक बहुत बड़ा मील का पत्थर है। ISRO अभी ऐसे कई और परीक्षण करेगा, ताकि जब हमारे जांबाज अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरें, तो उनकी सुरक्षा में कोई भी, 0.1% की भी कमी न रह जाए।

भारत अब उस दिन से ज्यादा दूर नहीं है, जब हम भी गर्व से कह सकेंगे - “सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा!”

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