Mokshada Ekadashi 2025 : उपवास रखें या न रखें, लेकिन भूलकर भी इस दिन न करें ये 5 काम, वरना भारी पड़ेगा
News India Live, Digital Desk: साल 2025 अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है, लेकिन जाते-जाते यह हमें एक बहुत ही खास तोहफा देकर जा रहा है 'मोक्षदा एकादशी'।हम भारतीय खाने-पीने और त्योहारों के तो शौकीन हैं ही, लेकिन जब बात पुण्य कमाने की आती है, तो हम कोई कसर नहीं छोड़ते। लेकिन अक्सर अनजाने में हम कुछ ऐसी छोटी-छोटी गलतियां कर बैठते हैं, जिससे व्रत का पूरा फल नहीं मिल पाता। तो चलिए, आज बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि इस बार मोक्षदा एकादशी कब है और हमें क्या करना है (और क्या बिल्कुल नहीं!)।
कब है मोक्षदा एकादशी 2025? (Date and Timing)
इस बार आपको कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं है। पंचांग के अनुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत सोमवार, 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा।
यह दिन इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, यानी इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाएगी। डबल सेलिब्रेशन और डबल पुण्य!
इस एकादशी पर 'चावल' क्यों है सबसे बड़ा दुश्मन?
शायद आपने घर के बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा, "बेटा, आज एकादशी है, चावल मत खाना।" कभी सोचा है क्यों?
धार्मिक कथाओं की मानें तो एकादशी के दिन चावल में 'महर्षि मेधा' के रक्त और मांस का वास माना जाता है। आसान शब्दों में कहें तो, शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन चावल खाना एक बड़े पाप के बराबर माना गया है। अगर आप व्रत नहीं भी रख रहे, तब भी 1 दिसंबर को चावल और चावल से बनी चीजों (जैसे डोसा, इडली, पोहा) से दूर ही रहें।
ये गलतियां भूलकर भी न करें (Don'ts List)
इस पवित्र दिन पर सिर्फ भूखे रहना ही व्रत नहीं है, बल्कि अपने व्यवहार को शुद्ध रखना असली पूजा है। इन बातों का ध्यान रखें:
- तुलसी को न छुएं: भगवान विष्णु की पूजा तुलसी के बिना अधूरी है, लेकिन सावधान रहें! एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़े जाते। एक दिन पहले (दशमी को) ही पत्ते तोड़कर रख लें।
- गुस्सा और निंदा: व्रत का मतलब है तन और मन की शांति। अगर आप उपवास कर रहे हैं और दिन भर दूसरों की बुराई कर रहे हैं या गुस्सा कर रहे हैं, तो वो व्रत 'उपवास' नहीं, सिर्फ 'लंघन' (भूखा रहना) है।
- सोने से बचें: अगर सेहत साथ देती है, तो एकादशी की दोपहर में न सोएं। शाम को भजन-कीर्तन करें।
- तामसिक चीजें: इस दिन घर में प्याज, लहसुन, मांस या मदिरा का प्रवेश भी नहीं होना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी पर क्या करें जिससे बदलेगी किस्मत? (Dos List)
- गीता का पाठ: चूंकि यह गीता जयंती का भी दिन है, तो श्रीमद्भगवद्गीता का कम से कम 11वां अध्याय जरूर पढ़ें। अगर पढ़ना नहीं आता, तो सुन लें। कहते हैं इससे पितरों (पूर्वजों) को शांति मिलती है।
- पीले रंग का जादू: भगवान विष्णु को पीला रंग बहुत प्रिय है। पूजा में पीले फूल, पीले फल (केला) और पीली मिठाई का भोग लगाएं। खुद भी पीले कपड़े पहनें तो और अच्छा है।
- दीपदान: शाम को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं और 11 बार परिक्रमा करें।
- गरीबों की मदद: ठंड का मौसम है (दिसंबर), तो किसी जरूरतमंद को गर्म कपड़े या कम्बल दान करना सबसे बड़ी पूजा है।
व्रत खोलने (पारण) का नियम
जो लोग व्रत रख रहे हैं, वे अगले दिन यानी 2 दिसंबर 2025 की सुबह पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें। व्रत को कभी भी भारी खाने से न खोलें, पहले फल या सात्विक भोजन लें।
जाते-जाते एक जरूरी बात:
मोक्षदा एकादशी का अर्थ है— 'मोक्ष देने वाली'। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जीवन की भागदौड़ में थोड़ा रुककर अपनी आत्मा और अपने कर्मों के बारे में सोचना भी जरूरी है। तो इस बार 1 दिसंबर को, चाहे व्रत रखें या न रखें, मन को साफ़ जरूर रखें।
बोलो बांके बिहारी लाल की जय!
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