Mission 2025: बालों की सफेदी नहीं, अब चलेगा युवा जोश नितिन नवीन को कमान सौंपकर जेपी नड्डा ने दिया बड़ा संकेत

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News India Live, Digital Desk: क्या यह महज एक इत्तेफाक है या सोची-समझी रणनीति? भारतीय जनता पार्टी (BJP), जिसने अपनी स्थापना के लगभग 45 साल पूरे कर लिए हैं, ने बिहार में अपना भविष्य 45 साल के ही एक युवा नेता नितिन नवीन (Nitin Nabin) के हाथों में सौंप दिया है। जेपी नड्डा (JP Nadda) और पार्टी आलाकमान का यह फैसला बताता है कि बीजेपी अब अपनी 'सेकंड जनरेशन' को फ्रंटफुट पर ला रही है।

45 का जादू: पार्टी भी जवान, नेता भी जवान

1980 में बनी बीजेपी आज अपने 45वें पड़ाव पर है। दूसरी तरफ, पटना के बांकीपुर से विधायक नितिन नवीन की उम्र भी 45 वर्ष के आसपास है। राजनीति के पंडित इसे एक बेहतरीन संयोग मान रहे हैं।

  • यह संदेश साफ़ है अब पार्टी को पुराने ढर्रे से नहीं, बल्कि युवा सोच (Youth Thinking) और नई ऊर्जा के साथ चलाया जाएगा।
  • जहां विपक्षी पार्टियां युवा चेहरों (जैसे तेजस्वी यादव) को आगे कर रही हैं, वहां बीजेपी ने नितिन नवीन को 'कार्यकारी अध्यक्ष' (Working President) जैसी बड़ी जिम्मेदारी देकर "नहले पर दहला" मारा है।

नितिन नवीन ही क्यों बने 'फर्स्ट च चॉइस'?

नितिन नवीन को यह जिम्मेदारी यूं ही खैरात में नहीं मिली है। उन्होंने इसे कमाया है।

  1. विरासत और मेहनत का संगम: नितिन नवीन के पिता नवीन किशोर प्रसाद जनसंघ और बीजेपी के कद्दावर नेता थे। लेकिन नितिन ने सिर्फ़ पिता के नाम पर राजनीति नहीं की। उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) से अपनी शुरुआत की और जमीन पर संघर्ष किया।
  2. सक्सेस रेट: हाल ही में छत्तीसगढ़ चुनावों में उन्हें सह-प्रभारी बनाया गया था। वहां बीजेपी की अप्रत्याशित जीत ने यह साबित कर दिया कि वो रणनीति बनाने में माहिर हैं। दिल्ली दरबार में उनके "रिपोर्ट कार्ड" पर इसी जीत ने मुहर लगाई।
  3. पटना कनेक्शन: वो लगातार चार बार से विधायक हैं। एक कायस्थ चेहरा होने के नाते और शहरी युवाओं में अच्छी पकड़ होने के कारण, वो बीजेपी के 'कोर वोट बैंक' को और मजबूत करते हैं।

चुनौतियां भी कम नहीं हैं

45 साल की उम्र में इतनी बड़ी जिम्मेदारी का मतलब है कांटों का ताज पहनना। सामने 2025 का विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) है। नितिन नवीन को न सिर्फ पार्टी के सीनियर नेताओं को साथ लेकर चलना होगा, बल्कि गाँव-गाँव तक संगठन को मजबूत भी करना होगा।

जेपी नड्डा का विजन साफ़ है बिहार में अब पार्टी को किसी बैसाखी की जरुरत नहीं होनी चाहिए। और इस लक्ष्य को पूरा करने की जिम्मेदारी अब इस 'युवा सेनापति' के कंधों पर है।

यह देखना वाकई दिलचस्प होगा कि क्या यह 45-45 का संयोग बिहार की सत्ता में बीजेपी की पूर्ण वापसी करा पाएगा?

आपकी क्या राय है, क्या युवाओं को कमान सौंपने से बिहार की राजनीति बदलेगी?

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