MiG-21 : जिस लड़ाकू विमान ने भारत की इज़्ज़त भी बढ़ाई और शहीद भी करवाए ,आखिर क्यों इतना मशहूर और विवादों में रहा ये उड़ता ताबूत?
News India Live, Digital Desk: MiG-21 : भारतीय वायुसेना के इतिहास में कुछ ही नाम ऐसे हैं जिन्होंने मिग-21 जितना गहरा प्रभाव छोड़ा है. दशकों तक हमारे आसमान की रखवाली करने वाला यह फाइटर जेट अब धीरे-धीरे रिटायर हो रहा है. यह एक ऐसा विमान रहा जिसने हमें कई युद्धों में जीत दिलाई, दुश्मनों के छक्के छुड़ाए, लेकिन साथ ही इसे 'फ्लाइंग कॉफिन' यानी 'उड़ता ताबूत' जैसे दर्दनाक नाम से भी पुकारा गया क्योंकि इसने कई पायलटों की जान ले ली. आइए जानते हैं कि यह आखिर क्यों हमारे लिए इतना ख़ास और साथ ही इतना विवादास्पद 'जंगी घोड़ा' रहा है.
शानदार विरासत और वीरता की पहचान:
मिग-21 सोवियत संघ (आज का रूस) से मिला एक बेहद फुर्तीला और शक्तिशाली विमान था, जिसे भारतीय वायुसेना ने 1963 में अपनी शान बनाया था. शुरुआती दौर में इसे "इंटरसेप्टर" के रूप में लाया गया था, यानी दुश्मनों के विमानों को हवा में ही रोककर मार गिराने के लिए. इसकी रफ्तार बहुत तेज थी और ये हवाई लड़ाई में गज़ब का था.
सबसे पहले इसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपनी असली ताकत दिखाई. इसने पाकिस्तान के कई फाइटर जेट्स को धूल चटाई और हमारे पायलटों ने इसकी बदौलत अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया. कारगिल युद्ध हो या बालाकोट एयरस्ट्राइक – मिग-21 ने कई बार भारत के दुश्मनों को उनकी औकात बताई. इसकी क्षमता ही थी कि भारतीय वायुसेना ने इस पर खूब भरोसा किया और इसे सालों तक सेवा में रखा. यह इतना मजबूत था कि भारत ने लाइसेंस लेकर इसे खुद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में बनाना शुरू कर दिया था.
फिर 'उड़ता ताबूत' क्यों? दर्दनाक हादसों की लंबी फेहरिस्त:
मिग-21 के साथ सबसे बड़ा दर्दनाक पहलू इसके हादसों की संख्या है. यह सबसे ज़्यादा क्रैश होने वाला भारतीय लड़ाकू विमान रहा है. आंकड़े बताते हैं कि सैकड़ों मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं, जिनमें कई जांबाज पायलटों की जान चली गई. ये हादसे कभी इसकी उम्रदराज़ बनावट के कारण होते थे, कभी खराब मेंटेनेंस के कारण तो कभी पुरानी तकनीक के कारण. यही वजह है कि इसे "फ्लाइंग कॉफिन" कहा जाने लगा और रिटायरमेंट की मांग जोर पकड़ने लगी. इतने सारे वीर पायलटों को खोना देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति रही है.
आधुनिकीकरण और अंतिम विदाई:
हालांकि भारत ने समय-समय पर मिग-21 को आधुनिक बनाने की कोशिश की, जैसे 'मिग-21 बाइसन' संस्करण में बदलाव, लेकिन इसकी पुरानी मूल बनावट कहीं न कहीं चुनौतियां खड़ी करती रही. अब जब हमारे पास राफेल, सुखोई-30 एमकेआई (Su-30MKI) और तेजस जैसे आधुनिक फाइटर जेट्स हैं, तो मिग-21 की जरूरत कम हो गई है. इसलिए अब इसे धीरे-धीरे सेवा से हटाया जा रहा है और जल्द ही यह हमारे आसमान से हमेशा के लिए विदा हो जाएगा.
मिग-21 सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना के गौरव, साहस और बलिदान का एक प्रतीक रहा है. इसके रिटायर होने के साथ एक युग का अंत हो रहा है, लेकिन इसके किस्से हमेशा हमारी यादों में बने रहेंगे.
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