Mental Health : मन-मस्तिष्क और आँतों का अनूठा मेल ,ऐसे जुड़ी है आपकी मानसिक शांति और पेट की सेहत

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News India Live, Digital Desk: Mental Health : क्या आपने कभी तनाव या घबराहट में अपने पेट में बेचैनी महसूस की है, या कहते सुना है कि "मेरा पेट गड़बड़ है, शायद कुछ गड़बड़ चल रही है दिमाग में"? यह महज़ कोई कहावत नहीं, बल्कि वैज्ञानिक तौर पर एक प्रमाणित तथ्य है कि हमारे दिमाग और हमारी आँतों के बीच एक गहरा और अटूट संबंध होता है, जिसे 'गट-ब्रेन कनेक्शन' कहा जाता है। आँतों को तो कभी-कभी 'शरीर का दूसरा दिमाग' भी कहा जाता है, और जब हमारा मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है, तो उसका सीधा असर हमारी पाचन क्रिया पर पड़ना शुरू हो जाता है।

जब हम किसी मानसिक तनाव, चिंता या डिप्रेशन का अनुभव करते हैं, तो हमारा शरीर स्ट्रेस हार्मोन रिलीज़ करता है। ये हार्मोन न केवल हमारे मूड को प्रभावित करते हैं, बल्कि सीधे हमारे पाचन तंत्र पर भी असर डालते हैं। यह हो सकता है कि आपकी आँतें अधिक संवेदनशील हो जाएं, जिससे आपको पेट दर्द, मरोड़ या आँतों में ऐंठन का अनुभव हो। मानसिक अशांति के कारण कई लोगों को इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS), एसिडिटी, कब्ज, दस्त या पेट फूलने जैसी पाचन संबंधी परेशानियाँ होने लगती हैं, क्योंकि दिमाग की उथल-पुथल पेट की सामान्य गतिविधियों को बाधित करती है।

इस कनेक्शन का प्रमुख ज़रिया वेगस नर्व (Vagus Nerve) है, जो हमारे दिमाग से सीधे आँतों तक संदेश भेजती है और आँतों से भी संदेश वापस दिमाग तक पहुंचाती है। यह नर्व एक प्रकार से दिमाग और पेट के बीच की सड़क है। इसके अलावा, हमारी आँतों में अरबों बैक्टीरिया रहते हैं, जिन्हें आँतों का माइक्रोबायोम कहते हैं। यह माइक्रोबायोम न केवल भोजन पचाने में मदद करता है, बल्कि सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर (खुशी वाले हार्मोन) का भी उत्पादन करता है, जिसका सीधा संबंध हमारे मूड और भावनाओं से होता है।

इसी कारण, अगर आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा नहीं है, तो यह माइक्रोबायोम भी प्रभावित होता है, जिससे पेट की दिक्कतें शुरू हो सकती हैं। और सिर्फ यही नहीं, यह रिश्ता एकतरफा नहीं है; एक अस्वस्थ पाचन तंत्र भी आपके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आँतों में सूजन या असंतुलित माइक्रोबायोम, दिमाग में भी सूजन या न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन में कमी कर सकता है, जिससे चिंता, अवसाद या थकान महसूस हो सकती है।

इस दो-तरफ़ा संबंध को बेहतर बनाने के लिए, मानसिक स्वास्थ्य और पाचन स्वास्थ्य दोनों पर एक साथ काम करना महत्वपूर्ण है। तनाव को मैनेज करना सीखें—योग, ध्यान, डीप ब्रीदिंग, और अपने पसंदीदा कामों में समय बिताना इसमें मदद करेगा। अपने खान-पान पर ध्यान दें, फाइबर युक्त भोजन, किण्वित (फर्मेंटेड) खाद्य पदार्थ जैसे दही, छाछ, और प्रोबायोटिक्स का सेवन करें, जो आँतों में स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं। पर्याप्त नींद लें, और नियमित व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

याद रखें, स्वस्थ दिमाग और स्वस्थ पेट दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। इसलिए, अगर आप अपने पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो अपने मानसिक स्वास्थ्य पर भी एक नज़र डालना न भूलें। इन दोनों का संतुलन ही आपको समग्र स्वस्थ और खुशहाल जीवन की ओर ले जा सकता है।

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