क्रिसमस पर ISRO का धमाका बाहुबली ने उठाया अब तक का सबसे भारी अमेरिकी सैटेलाइट
News India Live, Digital Desk : आप सब जानते हैं कि जब भी भारी-भरकम चीज़ों को अंतरिक्ष में भेजने की बात आती है, तो दुनिया की बड़ी-बड़ी एजेंसियां भी सौ बार सोचती हैं। लेकिन हमारे ISRO (Indian Space Research Organisation) ने आज फिर साबित कर दिया है कि हम किसी से कम नहीं हैं। जी हाँ, भारत के सबसे ताकतवर रॉकेट LVM3 ने—जिसे हम प्यार से 'बाहुबली' कहते हैं एक और बड़ा कारनामा कर दिखाया है।
सबसे मजे की बात यह है कि इस बार हमारे 'बाहुबली' ने कोई छोटा-मोटा भार नहीं, बल्कि अमेरिका (US) की एक बहुत ही भारी-भरकम सैटेलाइट को अपनी पीठ पर लादकर आसमान की सैर कराई है। सोचिए, टेक्नोलॉजी का बादशाह कहा जाने वाला अमेरिका भी अब अपने भारी सैटेलाइट्स के लिए भारत पर भरोसा जता रहा है।
आखिर हुआ क्या आज?
आज सुबह (24 दिसंबर) श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3 रॉकेट ने दहाड़ मारते हुए उड़ान भरी। इसके अंदर रखी थी अमेरिका की BlueBird Block-2 नाम की सैटेलाइट। सुनने में यह सिर्फ एक लॉन्च लगता है, लेकिन यकीन मानिए यह बहुत बड़ी बात है। यह सैटेलाइट करीब 6,100 किलो की है! यानी, अब तक LVM3 द्वारा लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजा गया यह सबसे भारी विदेशी पार्सल है।
यह काम कैसे करेगा? (सरल भाषा में)
अब आप सोच रहे होंगे कि भाई ये 'BlueBird' है क्या बला और इससे आम जनता को क्या फायदा?
देखिये, यह सैटेलाइट AST SpaceMobile कंपनी की है।इसका मकसद बहुत शानदार है। अभी तक हमें मोबाइल पर इंटरनेट चलाने के लिए टावर्स की ज़रूरत पड़ती है, है न? अगर आप किसी जंगल या पहाड़ पर चले जाएँ जहाँ टावर नहीं है, तो आपका फोन 'डब्बा' बन जाता है।
लेकिन यह सैटेलाइट सीधा अंतरिक्ष से आपके मोबाइल पर सिग्नल भेजेगा। मतलब स्पेस से डायरेक्ट आपके फोन पर इंटरनेट! इसे कहते हैं 'Direct-to-Device' टेक्नोलॉजी। इसी टेक्नोलॉजी को टेस्ट करने और दुनिया तक पहुंचाने के लिए यह लॉन्च किया गया है।
अमेरिका ने भारत को ही क्यों चुना?
यह सवाल आपके मन में ज़रूर आया होगा। एलन मस्क का SpaceX है, फिर भी ISRO क्यों?
दो मुख्य कारण हैं:
- भरोसा (Trust): हमारा LVM3 रॉकेट (जिसे पहले GSLV Mk-3 कहते थे) अब तक अपने सभी मिशनों में एकदम सटीक रहा है। चाहे चंद्रयान-3 हो या वनवेब (OneWeb) के सैटेलाइट्स, बाहुबली ने कभी निराश नहीं किया।
- सटीकता और कम खर्च: ISRO जिस सटीकता (Precision) के साथ सैटेलाइट को ऑर्बिट में पहुँचाता है, उसका कोई जवाब नहीं। और हाँ, हम जुगाड़ और किफायती मिशनों के लिए तो वैसे भी फेमस हैं।
बाहुबली का जलवा
LVM3 कोई आम रॉकेट नहीं है। इसकी ऊंचाई करीब 43.5 मीटर है (सोचिये एक 14 मंजिला इमारत जितनी) और यह 640 टन वजनी है। जब यह टेक-ऑफ करता है, तो धरती कांपती हुई महसूस होती है। इस लॉन्च की सफलता ने यह साफ़ कर दिया है कि 'कमर्शियल मार्केट' (यानी पैसे लेकर दूसरों के सैटेलाइट छोड़ना) में भारत अब एक बहुत बड़ा खिलाड़ी बन चुका है।
गर्व कीजिये और शेयर कीजिये
यह सिर्फ एक लॉन्च नहीं, यह भारत की बदलती तस्वीर है। वो दौर गया जब हम दूसरों पर निर्भर थे, आज दुनिया की महाशक्तियां अपनी सबसे कीमती चीज़ें हमें सौंप रही हैं।
तो अगली बार जब आसमान की तरफ देखें, तो याद रखियेगा वहाँ ऊपर हमारा एक 'बाहुबली' और भारत का नाम चमक रहा है। जय हिन्द!
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