सऊदी अरब और पाकिस्तान की नई डीलिंग क्या भारत के लिए खतरे की घंटी है या चीन की कोई नई चाल?
News India Live, Digital Desk : हाल ही में सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच एक सुरक्षा समझौता (Security Deal) हुआ है, जिसे लेकर दुनिया भर में, और खास तौर पर भारत में, काफी बातें हो रही हैं। लोग सोच रहे हैं क्या हमारे पुराने दोस्त सऊदी अरब ने पाला बदल लिया है? क्या चीन इसमें पर्दे के पीछे से कोई गेम खेल रहा है? और सबसे बड़ा सवाल क्या इसका असर खाड़ी देशों (Gulf) में भारत की मजबूत स्थिति पर पड़ेगा?
आइये, एक अमेरिकी एक्सपर्ट की राय के जरिये आसान शब्दों में समझते हैं कि असलियत क्या है और क्या हमें सच में चिंता करने की जरूरत है।
क्या हुआ है सऊदी और पाकिस्तान के बीच?
अभी हाल ही में, पाकिस्तान और सऊदी अरब ने रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए एक समझौते पर दस्तखत किए हैं। देखने में यह बहुत बड़ा लगता है, लेकिन अमेरिकी विशेषज्ञ (माइकल कुगलमैन) का मानना है कि यह कोई 'नई' बात नहीं है। पाकिस्तान दशकों से सऊदी शाही परिवार को सुरक्षा और सैनिक देता आया है। यह नया एग्रीमेंट बस उस पुराने रिश्ते को एक आधिकारिक और कानूनी जामा पहनाने जैसा है।
क्या इसमें चीन का हाथ है?
अब आते हैं उस सवाल पर जो सबके मन में है क्या चीन एक नया ग्रुप (Bloc) बना रहा है?
कुछ लोग कह रहे हैं कि यह एक 'चीन-प्रेमी' गठबंधन बन रहा है क्योंकि पाकिस्तान और सऊदी अरब दोनों ही चीन के करीब जा रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाँ, चीन को यह देखकर खुशी होगी कि उसके दो दोस्त साथ आ रहे हैं, लेकिन इसे "चीन का बनाया हुआ गुट" कहना जल्दबाजी होगी।
सच्चाई यह है कि सुरक्षा और हथियारों के लिए सऊदी अरब आज भी अमेरिका पर ही निर्भर है, चीन पर नहीं। तो यह पूरी तरह चीन का खेल नहीं है।
तो क्या भारत को 'टेंशन' लेनी चाहिए?
यही सबसे ज़रूरी बात है। क्या खाड़ी देशों में भारत का दबदबा कम हो रहा है?
अमेरिकी एक्सपर्ट का कहना है कि जवाब है बिल्कुल नहीं।
- अलग-अलग भूमिका: सऊदी अरब की नज़र में भारत और पाकिस्तान की भूमिकाएं एकदम अलग हैं। पाकिस्तान उन्हें 'फौजी ताकत' देता है, जबकि भारत उनके लिए एक बहुत बड़ा 'आर्थिक साझेदार' (Economic Partner) है।
- भारत की अपनी जगह: पिछले कुछ सालों में भारत ने सऊदी अरब और UAE के साथ जो रिश्ते बनाए हैं, वे इतने मजबूत हैं कि पाकिस्तान का कोई भी डील उन्हें हिला नहीं सकता।
- पुराना चश्मा हटाना होगा: पहले हम हर चीज़ को "भारत बनाम पाकिस्तान" की नज़र से देखते थे। लेकिन अब जमाना बदल गया है। सऊदी अरब और यूएई जानते हैं कि भारत उनके भविष्य के लिए और उनकी अर्थव्यवस्था के लिए कितना ज़रूरी है।
निष्कर्ष: डरने की बात नहीं
संक्षेप में कहें तो, यह डील पाकिस्तान और सऊदी अरब की अपनी जरूरतें पूरी करती है। पाकिस्तान को पैसे और सपोर्ट की जरूरत है, और सऊदी को सुरक्षा की। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि भारत 'हार' रहा है। कूटनीति (Diplomacy) में अब ऐसा नहीं होता कि अगर एक से हाथ मिलाया तो दूसरे से कट्टी हो गई। भारत अपने व्यापार और भरोसे के दम पर खाड़ी देशों में मजबूती से खड़ा है और आगे भी खड़ा रहेगा।
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