दिल्ली ब्लास्ट की जांच पहुंची झारखंड हजारीबाग में NIA का जोरदार छापा, सुबह सुबह घरों की हुई तलाशी

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News India Live, Digital Desk : दिल्ली में जो हाल ही में ब्लास्ट हुआ था, उसकी जांच अब बहुत गहरे राज खोल रही है। आज सुबह हजारीबाग (Jharkhand) के लोगों की आंख खुली तो नजारा कुछ और ही था। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए (NIA) की टीम धड़धड़ाते हुए शहर में दाखिल हुई और पेलावल (Pelawal) इलाके में छापेमारी शुरू कर दी।

यह कार्रवाई इतनी गुप्त और अचानक थी कि आसपास के लोगों को भनक तक नहीं लगी कि आखिर हो क्या रहा है।

मामला आखिर क्या है? (What's the matter?)

सीधा मुद्दा दिल्ली ब्लास्ट (Delhi Blast Investigation) से जुड़ा है। सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट मिला था कि उस धमाके या उससे जुड़ी किसी आतंकी साजिश (Terror Conspiracy) के तार झारखंड से जुड़े हो सकते हैं। शक है कि यहां कुछ ऐसे लोग छिपे हो सकते हैं या मदद कर रहे हैं, जो अल-कायदा इन इंडियन सब-कॉन्टिनेंट (AQIS) जैसे संगठनों के संपर्क में हों।

हजारीबाग का पेलावल इलाका पहले भी रडार पर रहा है। इस बार एनआईए की टीम पूरी तैयारी के साथ स्थानीय पुलिस (Local Police) को लेकर वहां पहुंची।

किसके घर पड़ी रेड?

खबरों के मुताबिक, एनआईए की टीम ने एक संदिग्ध के घर पर धावा बोला। टीम वहां सुबह-सुबह ही पहुंच गई थी। बताया जा रहा है कि टीम ने घर का कोना-कोना खंगाला है। अधिकारियों ने वहां मौजूद लोगों से लंबी पूछताछ की है। हालांकि, एनआईए अपनी जांच को बहुत सीक्रेट रखती है, इसलिए अभी यह साफ नहीं है कि वहां से क्या बरामद हुआ है, लेकिन आमतौर पर ऐसी रेड्स में मोबाइल, लैपटॉप या कुछ भड़काऊ दस्तावेज़ तलाशे जाते हैं।

इलाके में दहशत का माहौल

सोचिए, आपके पड़ोस में अचानक दिल्ली की स्पेशल पुलिस और एनआईए की गाड़ियां आ जाएं, तो डर तो लगता ही है। हजारीबाग के उस इलाके में भी कुछ ऐसा ही सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग दबी जुबान में बात कर रहे हैं कि "भाई, बात दिल्ली तक की है, मामला गंभीर होगा।"

क्या कुछ बड़ा होने वाला है?

एनआईए ऐसे ही हाथ-पांव नहीं मारती। अगर वो दिल्ली से चलकर हजारीबाग आई है, तो पक्का उनके पास कोई न कोई सॉलिड सुराग (Clue) होगा। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या दिल्ली धमाके के लिए विस्फोटक या लॉजिस्टिक्स की मदद यहां से दी गई थी?

फिलहाल तो पूछताछ जारी है और जांच की आंच अभी और भी लोगों तक पहुंच सकती है। आप बस इतना समझ लीजिये कि एजेंसियां अब स्लीपर सेल्स (Sleeper Cells) को उखाड़ने के मूड में हैं।

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