Inhuman Punishment : छत्तीसगढ़ की टीचर ने पार कीं क्रूरता की सारी हदें, ऐसी सजा दी कि आपकी रूह कांप जाएगी

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News India Live, Digital Desk: Inhuman Punishment :  गुरु और शिष्य के रिश्ते को शर्मसार करने वाली एक घटना छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले से सामने आई है. यहां होमवर्क पूरा न करने पर एक महिला टीचर ने सातवीं कक्षा की छात्रा को 100 बार उठक-बैठक करने की ऐसी 'तालिबानी' सजा दे डाली कि मासूम बच्ची की हालत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इस अमानवीय घटना का वीडियो वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग ने सख्त एक्शन लेते हुए आरोपी टीचर को नौकरी से निकाल दिया है, और उसके खिलाफ पुलिस में FIR भी दर्ज करा दी गई है.

क्या है यह पूरा शर्मनाक मामला?

यह घटना सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक के एक प्राइवेट स्कूल, ग्रेस पब्लिक स्कूल की है. यहां पढ़ाने वाली महिला टीचर निर्मला एक्का ने सोमवार को अपनी क्लास की एक छात्रा को होमवर्क पूरा न करने पर सजा दी. लेकिन सजा के नाम पर उन्होंने जो किया, वह किसी भी सभ्य समाज को स्वीकार नहीं हो सकता. उन्होंने छात्रा को पूरी क्लास के सामने 100 बार उठक-बैठक करने का फरमान सुनाया.

टीचर के डर से मासूम छात्रा रोते-बिलखते हुए उठक-बैठक करने लगी. क्लास में मौजूद किसी अन्य छात्र ने इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया, जिसके बाद यह तेजी से वायरल हो गया.

सजा के बाद बिगड़ी बच्ची की तबीयत

100 उठक-बैठक लगाने के बाद बच्ची की हालत इतनी खराब हो गई कि वह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. उसके पैरों में असहनीय दर्द होने लगा. जब वह किसी तरह घर पहुंची, तो उसने अपने माता-पिता को रोते हुए पूरी आपबीती सुनाई. घबराए हुए माता-पिता तुरंत अपनी बेटी को लेकर नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां उसका इलाज चल रहा है.

प्रशासन ने लिया तुरंत एक्शन

मामला जैसे ही जिला प्रशासन के संज्ञान में आया, हड़कंप मच गया. जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने तुरंत मामले की जांच के आदेश दिए. जांच में टीचर निर्मला एक्का को दोषी पाए जाने के बाद स्कूल प्रबंधन ने उन्हें तत्काल प्रभाव से नौकरी से बर्खास्त कर दिया.

यही नहीं, पीड़ित छात्रा के माता-पिता की शिकायत पर उदयपुर पुलिस ने आरोपी टीचर के खिलाफ किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है. इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर स्कूलों में बच्चों को सजा देने के नाम पर यह क्रूरता कब रुकेगी.

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