पाकिस्तान में जनरल फैज़ हमीद पर चला हंटर, क्या यह किसी बड़ी सफाई अभियान की शुरुआत है?
News India Live, Digital Desk : हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान इन दिनों एक अजीब सी सियासी और फौजी हलचल से गुजर रहा है। वहां जो हुआ है, वो इतिहास में शायद ही कभी सुना गया हो। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के पूर्व चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) फैज़ हमीद (Faiz Hameed) अब मिलिट्री की हिरासत में हैं और उन पर कोर्ट मार्शल की कार्रवाई चल रही है।
एक वक्त था जब फैज़ हमीद को पाकिस्तान का सबसे ताकतवर आदमी माना जाता था, और आज वो कानून के शिकंजे में हैं। लेकिन इस्लामाबाद और रावलपिंडी के गलियारों में जो चर्चा (Rumours) गर्म है, वो यह है कि "यह तो बस शुरुआत है।"
क्या है फैज़ हमीद का गुनाह?
ऊपरी तौर पर देखें तो सेना ने कहा है कि फैज़ हमीद ने "टॉप सिटी हाउसिंग सोसाइटी" (Top City Case) मामले में अपने पद का गलत इस्तेमाल किया। उन पर भ्रष्टाचार और लोगों को धमकाने के आरोप हैं। लेकिन क्या एक पूर्व ISI चीफ को सिर्फ एक हाउसिंग सोसाइटी के झगड़े के लिए अंदर किया जाएगा? जानकर मानते हैं कि मामला इससे कहीं ज्यादा गहरा है।
यह सिर्फ करप्शन नहीं, 'अनुशासन' का मामला है
अफवाहें और दबी जुबान में कही जाने वाली बातें ये इशारा कर रही हैं कि वर्तमान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर (Asim Munir) सेना के अंदर "सफाई अभियान" चला रहे हैं। फैज़ हमीद को इमरान खान (Imran Khan) का बेहद करीबी माना जाता था। आरोप है कि रिटायर होने के बाद भी वो राजनीति में दखल दे रहे थे और सेना के अनुशासन को तोड़ रहे थे।
पाकिस्तानी मीडिया और एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह कार्रवाई बाकी जनरलों और अफसरों के लिए एक कड़ा संदेश (Strong Message) है कि अगर आप "चेन ऑफ कमांड" तोड़ेंगे या किसी राजनेता के साथ मिलकर फौज के खिलाफ गुटबाजी करेंगे, तो आपकी पुरानी वर्दी आपको नहीं बचा पाएगी।
अब आगे क्या? किसका नंबर आएगा?
“यह सजा तो अभी शुरुआत है” इस लाइन के पीछे का मतलब यह है कि जांच की आंच अब उन तमाम लोगों तक पहुंच सकती है जिन्होंने फैज़ हमीद का साथ दिया था। कहा जा रहा है कि सेना के भीतर बैठे इमरान खान के समर्थक (Pro-Imran Elements) अब डर के साये में हैं। खबर है कि फैज़ हमीद के जरिए उन राज़ों को भी उगलवाया जा सकता है जो 9 मई की हिंसा और सियासी उठापटक से जुड़े हैं।
सोशल मीडिया और वहां के ड्राइंग रूम्स में यही गॉसिप चल रही है कि लिस्ट लंबी है। हो सकता है आने वाले दिनों में कुछ और बड़े नाम, चाहे वो फौजी हों या सिविलियन, इस लपेटे में आ जाएं।
पाकिस्तान फौज ने यह साबित कर दिया है कि 'संस्था' (Institution) से बड़ा कोई व्यक्ति नहीं होता। फैज़ हमीद, जो कभी अफगानिस्तान में चाय की चुस्कियां लेते हुए कहते थे "सब ठीक हो जाएगा", आज खुद मुश्किल में फंस गए हैं। पाकिस्तान की राजनीति अब किस करवट बैठेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
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