ऑस्ट्रिया ने लिया कड़ा फैसला, स्कूलों में हिजाब और हेडस्कार्फ पर लगी कानूनी रोक

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News India Live, Digital Desk : यूरोप के देश ऑस्ट्रिया (Austria) से एक बहुत बड़ी खबर सामने आ रही है, जिसने दुनिया भर में एक नई बहस छेड़ दी है। यहां की संसद ने एक ऐसे बिल को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अब प्राथमिक स्कूलों (Primary Schools) में छात्राओं के हेडस्कार्फ (Headscarf) पहनने पर पाबंदी लगा दी गई है।

आसान भाषा में समझें तो अब ऑस्ट्रिया के स्कूलों में बच्चियां हिजाब (Hijab) या बुर्का जैसे कपड़े, जिनसे सिर पूरी तरह ढंका रहता है, पहनकर क्लास में नहीं बैठ पाएंगी। यह फैसला आने के बाद से ही वहां का मुस्लिम समुदाय और कई मानवाधिकार संगठन अपनी चिंता जता रहे हैं।

सरकार का तर्क क्या है?

इस बिल को लाने वाली सत्ताधारी पार्टियों का कहना है कि यह फैसला 'सामाजिक एकीकरण' (Social Integration) के लिए जरूरी है। सरकार का तर्क है कि वे नहीं चाहते कि कम उम्र की बच्चियों पर किसी तरह का धार्मिक दबाव हो। साथ ही, वे स्कूलों में "समानता" (Equality) लाना चाहते हैं ताकि सभी बच्चे एक जैसे दिखें और "पैरेलल सोसाइटी" (Parallel Society) न बने।

सरकार के प्रवक्ताओं का कहना है कि स्कूल में बच्चों का मुख्य काम पढ़ाई और एक-दूसरे के साथ घुलना-मिलना है, और ऐसे कपड़े इसमें रुकावट बनते हैं।

किन पर होगा असर?

हालांकि, कानून की भाषा में सीधे तौर पर 'मुस्लिम' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसमें लिखा है कि "कोई भी ऐसा कपड़ा जो वैचारिक या धार्मिक रूप से प्रभावित हो और सिर को पूरी तरह ढंकता हो," वह बैन है। लेकिन आलोचकों का साफ कहना है कि इसका सीधा निशाना मुस्लिम लड़कियों का हिजाब ही है।

दिलचस्प बात यह है कि इस कानून को कुछ इस तरह से बनाया गया है कि सिख समुदाय का 'पटका' (Patka) या यहूदी समुदाय की 'किप्पा' (Kippah) शायद इसके दायरे में नहीं आएंगे, क्योंकि वे सिर को 'पूरी तरह' कवर नहीं करते या बालों को उस तरह नहीं ढंकते। इसी भेदभाव को लेकर वहां विपक्ष ने सवाल उठाए थे, लेकिन संसद में बहुमत होने के कारण बिल पास हो गया।

फ्रांस की राह पर ऑस्ट्रिया?

आपको याद होगा कि इससे पहले फ्रांस (France) और बेल्जियम जैसे देश भी सार्वजनिक जगहों और स्कूलों में धार्मिक प्रतीकों और बुर्के पर पाबंदी लगा चुके हैं। अब ऑस्ट्रिया भी इसी लिस्ट में शामिल हो गया है। वहां के मुस्लिम संगठनों ने इस फैसले को "धार्मिक आजादी पर हमला" बताया है और कहा है कि वे इसे कोर्ट में चुनौती देंगे।

यह खबर भारत समेत पूरी दुनिया के लिए चर्चा का विषय बन गई है, क्योंकि यह सीधे तौर पर पर्सनल फ्रीडम और सरकारी नियमों के बीच की एक लकीर खींचती है। अब देखना होगा कि इस कानून के लागू होने के बाद वहां के स्कूलों में कैसा माहौल रहता है।

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