Russia-Indonesia Ties : भारत की दोस्ती देख इंडोनेशिया को हुई जलन? पुतिन से कह दी दिल की बात

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News India Live, Digital Desk : आज बात करते हैं इंटरनेशनल पॉलिटिक्स की एक ऐसी खबर की जो थोड़ी गंभीर भी है और थोड़ी मजेदार भी। पूरी दुनिया जानती है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आजकल विदेश यात्राओं पर बहुत कम निकलते हैं। पश्चिमी देशों और अमेरिका की पाबंदियां और ICC (इंटरनेशनल कोर्ट) के वारंट की वजह से वो गिने-चुने दोस्तों के पास ही जाते हैं। और उन दोस्तों की लिस्ट में सबसे ऊपर किसका नाम है? अपने भारत का।

लेकिन अब लगता है कि भारत और रूस की यह गहरी दोस्ती देखकर बाकी देश भी प्रेरित हो रहे हैं। हाल ही में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो (Prabowo Subianto) ने पुतिन से मुलाकात के दौरान एक ऐसी बात कह दी जो सुर्खियों में आ गई है। उन्होंने हंसी-हंसी में पुतिन से एक 'शिकायत' भी कर दी और न्यौता भी दे दिया।

चलिए, आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर मामला क्या है और इसके पीछे की कूटनीति (Diplomacy) क्या कहती है।

क्या था वो मजाक? (The Joke with a Message)

जब इंडोनेशिया के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति प्रबोवो मास्को में पुतिन से मिले, तो माहौल काफी दोस्ताना था। बातचीत के दौरान प्रबोवो ने पुतिन को इंडोनेशिया आने का न्यौता दिया। लेकिन न्यौता देने का उनका अंदाज बड़ा दिलचस्प था।

उन्होंने कहा, "भारत ही एकमात्र देश नहीं होना चाहिए जहाँ आप जा सकते हैं।"

सुनने में यह एक साधारण मजाक लगता है, लेकिन इसके मायने बहुत गहरे हैं। असल में, प्रबोवो यह कहना चाह रहे थे कि "पुतिन साहब, हम जानते हैं कि आप अमेरिका या यूरोप नहीं जा सकते, और भारत ही आपका सच्चा दोस्त है जहाँ आप बेफिक्र होकर जाते हैं। लेकिन हम (इंडोनेशिया) भी आपके अच्छे दोस्त बनना चाहते हैं। हमारे दरवाजे भी आपके लिए खुले हैं।"

भारत का नाम क्यों लिया गया?

ये हम सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है। ग्लोबल पॉलिटिक्स में आज भारत का रुतबा ऐसा है कि जब पुतिन को पूरी दुनिया ने अलग-थलग करने की कोशिश की, तब भी भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति (Foreign Policy) पर अड़ा रहा। पीएम मोदी ने दोस्ती भी निभाई और शांति की बात भी कही।

इंडोनेशिया अब इसी मॉडल को अपनाना चाहता है। इंडोनेशिया दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है और एक उभरती हुई इकोनॉमी भी। वो देख रहे हैं कि अगर भारत अमेरिका के दबाव में आए बिना रूस से तेल खरीद सकता है और दोस्ती रख सकता है, तो इंडोनेशिया पीछे क्यों रहे?

इसके पीछे का असली सन्देश (The Real Game)

इस छोटे से मजाक और मुलाकात से दुनिया को तीन बड़े सन्देश मिलते हैं:

  1. रूस अलग-थलग नहीं है: पश्चिमी देश कितना भी शोर मचा लें कि रूस "अकेला पड़ गया है", लेकिन सच्चाई यह है कि एशिया के बड़े पावरहाउस (भारत, चीन, और अब इंडोनेशिया) रूस के साथ जुड़े हुए हैं।
  2. एशिया अपनी मर्जी का मालिक: चाहे वो भारत हो या इंडोनेशिया, अब एशियाई देश अपने फैसले खुद ले रहे हैं। वो यह नहीं देख रहे कि वाशिंगटन या लन्दन में क्या सोचा जाएगा। उन्हें रूस से हथियार चाहिए, एनर्जी चाहिए और फूड सिक्योरिटी चाहिए—और वो इसके लिए हाथ मिला रहे हैं।
  3. पुतिन के लिए रास्ता साफ़: इंडोनेशिया आईसीसी (ICC) का सदस्य नहीं है (भारत की तरह)। इसका मतलब यह है कि अगर पुतिन वहां जाते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार करने का कोई लीगल खतरा नहीं होगा। इंडोनेशिया ने यह न्यौता देकर साफ कर दिया कि वो पुतिन को एक वीआईपी गेस्ट की तरह ट्रीट करेंगे, न कि एक वांटेड व्यक्ति की तरह।

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